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कोलकाता: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने साध्वी प्रज्ञा को लोकसभा उम्मीदवार बनाए जाने के पार्टी के फैसले का बचाव करते हुए सोमवार को कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं और मालेगांव विस्फोट मामले के असली गुनहगार कानून से बच गए। साल 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में जमानत पर चल रही साध्वी प्रज्ञा को भाजपा ने भोपाल सीट से उम्मीदवार बनाया है। शाह ने कोलकाता में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह पूरी तरह से सही फैसला है। उनके खिलाफ आरोप निराधार हैं। उनके या स्वामी असीमानंद के खिलाफ कुछ भी साबित नहीं हुआ है।’’

उन्होंने दावा किया कि ‘‘असली गुनाहगारों’’ को गिरफ्तार करने के बाद छोड़ दिया गया। सवाल होना चाहिए कि उन्हें क्यों छोड़ा गया। साध्वी प्रज्ञा को जब से भाजपा ने भोपाल से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ उम्मीदवार बनाया है तब से पार्टी आलोचना का शिकार हो रही है। वहीं साध्वी उम्मीदवार बनने के बाद से लगातार सुर्खियों में छाई हुईं हैं।

वह कभी अपने बयानों को लेकर तो कभी विपक्ष के हमलों को लेकर खबरों में बनी हुई हैं। विपक्ष द्वारा साध्वी की आलोचना होने के बाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनका बचाव करना पड़ा था।

एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साध्वी की उम्मीदवारी कांग्रेस को महंगी पड़ने वाली है। उन्होंने राहुल गांधी और सोनिया गांधी को निशाने पर लेते हुए कहा कि अमेठी और रायबरेली से कांग्रेस उम्मीदवार भी जमानत पर रिहा है। इस पर चर्चा नहीं, लेकिन भोपाल की उम्मीदवार जमानत पर हो तो ये बहुत बड़ा तूफान खड़ा कर देते हैं। सबको जवाब देने के लिए साध्वी एक प्रतीक हैं और यह कांग्रेस को महंगा पड़ने वाला है।

साध्वी प्रज्ञा की बात करें तो उन्होंने मुंबई हमलों में शहीद हुए तत्कालीन मुंबई एटीएस के मुखिया हेमंत करकरे को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि करकरे का निधन उनके द्वारा दिए गए श्राप की वजह से हुआ। इस बयान के कारण वह विपक्ष के निशाने पर आ गई थीं और चुनाव आयोग ने उन्हें आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में नोटिस भी भेजा था। वहीं राम मंदिर पर की गई हालिया टिप्पणी एक बार फिर उन्हें भारी पड़ी और आयोग से उन्हें दूसरा नोटिस थमा दिया।

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