कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने डाउन सिंड्रोम और अन्य बीमारियों के कारण 39 वर्षीय एक महिला को 26 हफ्ते का गर्भ गिराने की इजाजत देने से मंगलवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति तपव्रत चक्रवर्ती ने सरकारी अस्पताल एसएसकेएम से सोमवार को महिला के स्वास्थ्य के संबंध में विशेष जानकारी मांगी थी। इसके बाद महिला के स्वास्थ्य की उस अस्पताल में जांच की गई। कोर्ट के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट में अस्पताल के मेडिकल बोर्ड ने गर्भपात के खिलाफ राय दी। साथ ही शिशु के मानसिक और शारीरिक तौर पर कमजोर होने की भी संभावना भी जताई।
महिला के वकील कल्लोल बसु ने कोर्ट के सामने गुहार लगाई, भ्रूण अजन्मा इनसान है। इसलिए 26 हफ्ते में गर्भपात कराने पर इसे भ्रूणहत्या नहीं माना जा सकता। फिर मेडिकल रिपोर्ट अधूरी है और इसमें अदालत की ओर से मांगा गया कोई विशेष विवरण नहीं शामिल है। इसलिए गर्भपात की अनुमति दी जानी चाहिए।
लेकिन अतिरिक्त महाधिवक्ता अभ्रोतोष मजूमदार ने एसएसकेएम अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि अगर महिला कुछ हफ्ता पहले अदालत में चली आती तो स्थिति अलग होती। लेकिन मौजूदा स्तर पर गर्भपात की अनुमति देना जोखिम भरा होगा। इस पर कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को बरकरार रखते हुए महिला की याचिका खारिज कर दी।