नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों से केंद्रीय सशस्त्र अर्द्धसैनिक बलों की आठ में से अधिकतम चार कंपनियों को वापस बुलाने की अनुमति दे दी। केंद्र ने गुजरात में चुनाव से पहले वहां सुरक्षा ड्यूटी के लिए कंपनियों को वापस बुलाने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने हिंसाग्रस्त पश्चिम बंगाल में मौजूद बलों में से आधे को गुजरात भेजने की सोमवार को अनुमति दे दी।
न्यायालय ने इससे पहले 27 अक्तूबर को केंद्र को दार्जिलिंग और कालिम्पोंग जिलों से सीएपीएफ की 15 कंपनियों में से सात कंपनियां हटाकर उन्हें जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और चुनावी राज्यों गुजरात तथा हिमाचल में तैनात करने की अनुमति दी थी।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इससे पहले दार्जिलिंग से सीएपीएफ की कंपनियां हटाने पर 27 अक्तूबर तक के लिए रोक लगा दी थी। इसके बाद ही केंद्र ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।
क्या है मामला
पहाड़ पर 104 दिनों की हड़ताल के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय बल की 15 कंपनियों में से 10 को हटाने का फैसला किया था। हालांकि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि दार्जिलिंग की स्थिति सुरक्षा बल हटाने लायक नहीं है। लिहाजा गृह मंत्रालय ने अपने फैसले को बदलते हुए सात कंपनियों को हटाने का फैसला किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्तूबर को कुल 15 कंपनियों में से सात कंपनियों को वापस बुलाने की अनुमति दी थी जबकि सोमवार को चार और कंपनियों को वापस बुलाने की अनुमति दी। फिलहाल वहां अभी भी चार कंपनियां तैनात रहेंगी।