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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने मंगलवार (31 दिसंबर) को कई न्यूज़ चैनलों से अलग-अलग बातचीत में बीपीएससी के मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कड़े शब्दों में आलोचना की है। उन्होंने कहा कि चार लाख से ज्यादा छात्र पिछले 15 दिनों से धरने पर बैठे हैं। शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। छात्रों की कुछ मांग है, कुछ शिकायतें हैं। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीन से गायब है। प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि बिहार में लालू यादव के शासन में कभी अपराधियों का राज चलता था उसी तरह नीतीश कुमार के शासन में अधिकारियों का राज चल रहा है।

प्रशांत किशोर ने कहा, "शुरुआती दिनों में करीब आठ या नौ दिनों में कोई भी राजनीतिक दल उस आंदोलन से नहीं जुड़ा। आज से करीब पांच दिन पहले छात्रों के प्रदर्शन के दौरान जब पुलिस ने लाठी चलाई, बर्बरता से मारा तब हम जैसे लोग खड़े हुए। इस मांग के साथ खड़े नहीं हुए हैं कि छात्रों की क्या मांग है और सरकार का क्या रवैया है? बिहार लोकतंत्र की जननी रही है।

'बच्चों को पीटा, डराया और प्रताड़ित न किया जाए': प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी भी सभ्य समाज में इस बात की इजाजत नहीं दी जा सकती है कि पूरी सरकार लाठीतंत्र में बदल जाए। बच्चों की बात सुने बगैर उनको सड़कों पर दौड़ा-दौड़ाकर मारा जाए।" 

उन्होंने कहा, हम लोग इसलिए बच्चे के साथ खड़े हैं कि सरकार उनसे बात करे। उनके विषयों की जांच करे। जो अच्छा न लगे उसे खारिज कर दे, लेकिन किसी भी हालत में बच्चों पर एफआईआर न हो। बच्चों को लाठी से पीटा न जाए। उनको डराया न जाए। प्रताड़ित न किया जाए।'

सवालों और आरोपों के जवाब में प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी भी आंदोलन में अगर 10 लोग प्रभावित हैं तो सारे 10 के 10 किसी प्रदर्शन में या धरना में नहीं आएंगे। कुछ उसका प्रतिनिधित्व ही हो सकता है, लेकिन जितनी बड़ी संख्या में छात्र इस आंदोलन से जुड़े हुए हैं कम से कम 15 हजार अभ्यर्थी इकट्ठा हुए थे। छह घंटे तक गांधी मैदान में छात्र संसद चली। उन लोगों ने अपने नेताओं का चुनाव किया जो लोग इस आंदोलन में सरकार से बात करेंगे और आगे लीड करेंगे। मेरी भूमिका रही है कि मैं छह घंटे वहां खड़ा रहा था। इस आश्वासन को लेकर कि जब छात्र ये कर रहे हैं, तो कोई असमाजिक तत्व उसमें व्यवधान न डाले। सरकार की ओर से कोई लाठीचार्ज न हो, कोई परेशान न करे।

पीके बोले- ये कहां का लोकतंत्र?

बातचीत के क्रम में पीके ने आगे कहा, "छात्रों ने लीडर को चुन लिया तो उसमें ये भी तय किया गया कि कोई कोचिंग संचालक नहीं रहेगा। सरकार का आरोप है कि कुछ कोचिंग वाले इसको हवा दे रहे हैं। ऐसे में हम लोगों ने तय किया कि इसके नेतृत्व में कोई भी कोचिंग चलाने वाला नहीं रहेगा। कोई पॉलिटिकल लीडर नेतृत्व में नहीं रहेगा। जो अभ्यर्थी हैं, उन्हें ही कमेटी में रखा गया है। हम लोग उनके समर्थन में खड़े हैं। सरकार की ओर से कल (सोमवार) सारे दबाव के बाद बात की गई है। जो बात कल हुई ये 10 दिन पहले भी हो सकती थी। अभी तक मुख्यमंत्री ने उन बच्चों से मिलना भी स्वीकार नहीं किया है। इतना बड़ा हंगामा हो रहा है और उस व्यक्ति के पास मिलने तक का समय नहीं है। ये कहां का लोकतंत्र है?"

प्रशासन ने दिया था आश्वासन

जन सुराज के संस्थापक ने कहा कि बच्चों ने यहां तक कहा है कि मुख्यमंत्री अगर मिलकर ये कह दें कि कोई अनियमितता नहीं हुई है तो हम लोग मान लेंगे, लेकिन मिलने का समय तक नहीं दिया। इस सवाल पर कि लाठीचार्ज हुआ तो आप भाग गए ये आरोप है। इस पर पीके ने कहा, "जो लोग ये कह रहे हैं उनको घटनाक्रम समझना चाहिए। दिन में 12 बजे से लेकर छात्र संसद पांच बजे शाम तक चली। पांच बजे गांधी मैदान से एक सामूहिक मार्च के जरिए लोग निकले। फिर आकर जहां पुलिस ने रोका हम लोग रोड पर बैठ गए। 15 हजार से ज्यादा छात्र करीब दो घंटे बैठे रहे। मैं सबसे आगे था। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। प्रशासन ने ये कहा कि अगर आप लोग यहां से हट जाएं तो आप डेलिगेशन हमारे पास भेज दीजिए। मुख्य सचिव बात करेंगे।"

प्रशांत किशोर ने कहा कि प्रशासन ने ये ऑफर दिया तो हम लोगों ने छात्रों से कहा कि आप लोग डेलिगेशन मुख्य सचिव के पास भेजिए। यह भी कहा कि जो लोग घर जाना चाहते हैं जाएं। जो लोग हम लोगों के साथ गांधी मैदान जाकर बैठना चाहते हैं बैठें, लेकिन पीछे बैठे कुछ छात्रों को ये बात सुनाई नहीं दी। भीड़ ज्यादा थी। वे खुद सैकड़ों छात्रों के साथ जाकर गांधी मैदान में बैठ गए। गांधी मैदान में 35 मिनट बैठने के बाद घर चले गए। इसी बीच पुलिस ने बचे हुए छात्रों पर पहले पानी की बौछार की, फिर लाठीचार्ज किया।

'…तो मेरे पर कार्रवाई होनी चाहिए'

प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर कुछ गलत हो रहा था तो वो करने वाला तो मैं था। जब मैं वापस आ गया तो पुलिस ने इंतजार किया उसके बाद उन बच्चों को मारा। ये सरासर गलत है। अगर हम कुछ कोई गैर कानूनी काम कर रहे हैं तो मेरे पर कार्रवाई होनी चाहिए। उसी तरह अगर पुलिस ने किया है, तो उस पर होना चाहिए। पुलिस कानून से ऊपर नहीं है। किसी कानून में ये नहीं लिखा है कि वो किसी नागरिक पर लाठी चलाए। इसलिए हम लोग जाकर उन पर भी एफआईआर करेंगे। अफसरों की मनमानी नहीं चलेगी। पीके ने कहा कि जिस तरह बिहार में लालू यादव के शासन में कभी अपराधियों का राज चलता था उसी तरह नीतीश कुमार के शासन में अधिकारियों का चल रहा है।

इस सवाल पर कि नीतीश कुमार क्यों चुप हैं? इस पर पीके ने कहा कि उनका राजनीति में अंतिम दौर चल रहा है। साल भर किसी तरह अपनी गद्दी को बचा लें। जहां तक जेडीयू का सवाल है कि मैं किशोर हूं या व्यस्क हूं तो वे झांक कर देख लें कि 2015 में इसी किशोर ने उनकी नैया पार लगाई थी। मुझे उनके सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। 10 महीने में चुनाव होगा जनता तय कर लेगी।

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