पटना: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का निधन हो गया। वे कैंसर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने 72 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। इससे पहले बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने पिछले महीने ही राजनीति से संन्यास लिया था। लोकसभा चुनाव के बीच उन्होंने यह एलान किया था। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा था कि पिछले छह माह से कैंसर से संघर्ष कर रहा हूं। अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है। लोकसभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊंगा। प्रधानमंत्री को सब कुछ बता दिया है। देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित।
1990 में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने
सुशील मोदी, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद जेपी आंदोलन के बाद उभरे। यह तीनों नेता जेपी आंदोलन की उपज माने जाते हैं। सुशील मोदी शुरुआत से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे। 1971 में सुशील मोदी ने छात्र राजनीति की शुरुआत की।
इसके बाद युवा नेता के रूप में पहचान बनाई। साल 1990 में सुशील ने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने। इसके बाद बिहार की राजनीति में उनका कद बढता ही चला गया।
2004 में भागलपुर से जीतकर लोकसभा गए थे
2004 के लोकसभा चुनाव में सुशील मोदी भाजपा के टिकट पर भागलपुर से सांसद बने। 2005 में उन्होंने संसद सदस्यता से इस्तीफा दिया और विधान परिषद के लिए निर्वाचित होकर बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री बने। सुशील मोदी 2005 से 2013 और 2017 से 2020 तक बिहार के वित्त मंत्री रह चुके हैं। 2020 में जब फिर से एनडीए की सरकार बनी तो सीएम नीतीश कुमार चाहते थे कि सुशील मोदी ही डिप्टी सीएम बनें। लेकिन, शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। कहा यह भी जा रहा है कि इस बार जो नीतीश कुमार एनडीए में फिर से शामिल हुए, उसके पीछे सुशील मोदी की अहम भूमिका थी।