पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बड़ी मुश्किल से बिहार की छवि सुधरी है। इसे कुछ लोग फिर से खराब करने में लगे हैं। बिना नाम लिए उन्होंने भाजपा नेताओं पर हमला बोला। वे सोमवार को पटना के रवींद्र भवन में सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार की संघर्ष पर लिखी गई किताब का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे। सीएम ने कहा कि पहले बिहार के लोग बाहर काम करते थे, तो उन्हें हेय दृष्टि से वहां के लोग देखते थे। आज कोई बिहारी बाहर काम करता है तो उसे हेय दृष्टि से नहीं देखा जाता। इतना बड़ा परिवर्तन आया है। लेकिन कुछ लोग हैं, जिनको बिहार की शोहरत, बिहार का काम और नाम पचता नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में इतना काम हो रहा है। अच्छे-अच्छे काम हो रहे हैं। इस पर नजर कम है। कोई एक घटना हो जाए तो कुछ लोग उछाल कर बिहार की छवि को धूमिल करने की कोशिश करते हैं। मुख्यमंत्री ने समारोह में उपस्थित युवाओं को कहा कि अपने संकल्प से पीछे मत हटना। आगे बढ़ने पर कुछ लोग टांग खीचेंगे, लेकिन हौसला मत छोड़ना। घबरा जाने से लोग फिसल जाते हैं। जो नहीं घबराता है, वह मंजिल तक पहुंचता है। आनंद कुमार भी कठिन परिस्थिति में पले-बढ़े और अपने दृढ़ संकल्प से ही आगे बढ़े हैं।
आज इस समारोह में आकर मैं गर्व महसूस कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि आज बिहार में शिक्षा की गुणवत्ता चुनौती है, जिस पर काम हो रहा है। 2005 में हम सरकार में आए तो शिक्षा की चुनौती कुछ और थी। 12.5 फीसदी बच्चे विद्यालय नहीं जाते थे। अधिकतर लड़कियां प्राथमिक शिक्षा के बाद आगे नहीं पढ़ती थीं। शिक्षण संस्थान कम थे। इसमें सुधार आया। अब एक फीसदी से भी कम बच्चे विद्यालय से बाहर हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या 1.70 लाख से बढ़ कर कुछ सालों में 8.30 लाख हो गई। सात निश्चय में बड़े पैमाने पर शिक्षण संस्थान खोलने का कार्यक्रम तय है। उन्होंने सबसे अपील की कि अपने ज्ञान को बांटिए। ज्ञान से ही समाज बढ़ेगा। पहले के लोग ज्ञान को भी सीमित लोगों में बांटते थे। इसलिए यह देश पिछड़ते चला गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं राजनीति में कोई ख्वाहिश लेकर नहीं आया था। संघर्ष करते-करते दो बार चुनाव हारने के बाद विधानसभा का चुनाव जीता। कभी-कभी मन में एक ही ख्वाहिश आती थी कि एमपी बनूं। एक बार एमपी बनना चाहता था। मंत्री बनेंगे और मुख्यमंत्री बनेंगे ऐसा नहीं सोचा था। आजकल तो कुछ लोग मेरा अच्छा मजाक उड़ाते हैं, लेकिन मैं किसी पद की ख्वाहिश नहीं रखता हूं। लोगों के कहने से मेरे काम पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। सुपर-30 आनंद की संघर्ष गाथा किताब को कनाडा के डॉक्टर बीजू मैथ्यू ने लिखी है। सह लेखक हैं हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकार अरुण कुमार। रॉबर्ट प्रिंस ने इसमें सहयोग किया।