पटना: लोजपा सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बिहार सरकार शराबबंदी के नाम पर ताड़ी व्यवसाय से जुडे लोगों पर अत्याचार करने और उनकी आजीविका छीनने का आरोप लगाते हुए सोमवार को राज्य सरकार से ताड़ी को उद्योग का दर्जा देने की मांग की। बिहार में पूर्णशराबबंदी को लेकर ताड़ी के कारोबार पर रोक के विरोध में मंगलवार को यहां आयोजित एक धरना कार्यक्रम में भाग लेते हुए पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ताड़ी व्यवसाय पर रोक लगाकार पासी समाज पर कुठाराघात करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पहले दलित महादलित को अलग किया गया और अब महादलित समाज से आने वाले पासी समाज की पेट पर लात मारने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ताड़ी का व्यवसाय पासी समाज की आजीविका से जुड़ा हुआ है और कुम्हार समाज इसके लिए बर्तन बनाने का काम करते थे उनके भी पेट पर लात मारा जा रहा है। ताड़ी को शराब की श्रेणी में नहीं बल्कि इसे जूस तथा अंगूर एवं सेब सहित अन्य फलों की बागवानी के रूप में संज्ञा देने वाले पासवान ने कहा कि शराब और अंगूर जिससे शराब बनाया जाता है उसकी बागवानी पर क्यों नहीं प्रतिबंध लगाया गया।
लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ने मांग की कि ताड़ी के कारोबार को लेकर जो नया आदेश राज्य सरकार ने जारी किया है उसे वापस ले तथा ताड़ी के व्यवसाय से जुडे वे लोग जिन्हें प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी के नाम पर गिरफ्तार कर जेल भेजा गया उन्हें रिहा किया जाए नहीं तो दलित सेना इसके विरोध में आगामी 20 जून को प्रत्येक जिला और प्रखंड मुख्यालय में धरना एवं प्रदर्शन करेगी और अगस्त महीने में पटना के गांधी मैदान में रैली का आयोजन करेंगे। उन्होंने दोहराया पिछले दस सालों के अपने और अपनी पार्टी के शासनकाल के दौरान नीतीश ने गांव-गांव शराब की दुकाने खुलावायी थीं और अब बिहार में पूर्णशराबबंदी लागू कर इसे पूरे देश में शराबबंदी की बात कर रहे हैं, ऐसे में उन्हें बताना चाहिए कि क्या वे दस साल पहले दुधमुंहे बच्चे थे कि उन्हें शराब को लेकर ज्ञान नहीं था। राजद प्रमुख लालू प्रसाद के उनपर ताड़ी की आड़ में पासी समाज में वोट बैंक बनाने के लिए धरना देने का आरोप लगाए जाने पर पासवान ने कहा कि लालू जिन्होंने वर्ष 1991 में ताड़ी को लेकर कानून बनाया था आज नीतीश से इतने डरे हुए क्यों हैं यह उनकी समझ से परे है। उन्होंने कहा कि लालू को डरने के बजाए नीतीश से ताड़ी के कारोबार पर लगायी गयी रोक को हटाने के लिए कहना चाहिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आरएसएस की विचारधारा को समाज को बांटने वाला बताते हुए ‘संघ मुक्त’ भारत का आह्वान करने तथा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के पूर्व गैर भाजपायी दलों के एकजुटता की अपील किए जाने के बारे में कहा कि नीतीश ऐसा बिहार में कानून व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति से लोगों का ध्यान हटाने के लिए कर रहे हैं, इसलिए हमने उन्हें ‘संघ मुक्त’ भारत के बजाए अत्याचार मुक्त बिहार के लिए कोशिश करने का सुझाव दिया है।