भोपाल: मोहन यादव को मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है। मोहन यादव निवर्तमान सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे हैं। भाजपा विधायक दल की आज हुई बैठक में ओबीसी नेता और तीन बार के विधायक मोहन यादव के नाम पर मुहर लगी। उन्हें आरएसएस की भी पसंद माना जाता है। यादव की नियुक्ति को उनके पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान की राजनीतिक राह (कम से कम राज्य में) के अंत के रूप में देखा जा रहा है।
शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा
मोहन यादव को राज्य विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
मोहन यादव ने सीएम बनाए जाने की घोषणा के बाद कहा, "मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए मैं पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा, शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा को धन्यवाद देता हूं। यह केवल बीजेपी ही है जो मेरे जैसे छोटे से कार्यकर्ता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।"
मोहन यादव का राजनीतिक सफर छात्रसंघ सचिव के रूप में शुरू हुआ। इसके बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और बाद में एबीवीपी के प्रदेश मंत्री भी रहे। इसके बाद 2013 में मोहन यादव पहली बार विधायक बने। इसके बाद 2018 के मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव में उन्हें फिर से चुना गया।
शिवराज सरकार में रहे हैं मंत्री
राज्य की राजनीति में यादव का प्रभाव तब और मजबूत हुआ, जब उन्होंने 2 जुलाई, 2020 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली।
कांग्रेस उम्मीदवार को करीब 12 हजार वोटों से हराया
25 मार्च 1965 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में जन्मे मोहन यादव कई सालों से बीजेपी से जुड़े हुए हैं। हाल के 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मोहन यादव ने कांग्रेस उम्मीदवार चेतन प्रेमनारायण यादव के खिलाफ 12,941 वोटों के अंतर से जीत हासिल करते हुए उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक बने हैं।
भाजपा ने हासिल की थी जबरदस्त जीत
मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन के बूते भाजपा ने राज्य में अपनी सत्ता बरकरार रखी है। मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों के लिए एक ही चरण में 17 नवंबर को मतदान हुआ था और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को की गई थी। भाजपा ने 163 सीटें हासिल कर शानदार जनादेश हासिल किया था, जबकि कांग्रेस 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी।