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नागपुर: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विजयदशमी के मौके पर कहा कि शक्ति शांति का आधार है। हमें महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार करने एवं उन्हें अपने निर्णय स्वयं लेने की स्वतंत्रता देकर सशक्त बनाने की आवश्यकता है। जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है, वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते, इतनी उनकी शक्ति है और इसलिए उनको इस प्रकार प्रबुद्ध, सशक्त बनाना, उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना अहम है।

उन्होंने आगे कहा कि जनसंख्या नीति व्यापक सोच-विचार के बाद तैयार की जाए और यह सभी पर समान रूप से लागू हो। यह सही है कि जनसंख्या जितनी अधिक उतना बोझ ज़्यादा। जनसंख्या का ठीक से उपयोग किया तो वह साधन बनता है। हमको भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है, इसलिए जनसंख्या की एक समग्र नीति बने। उन्होंने कहा, कोविड के बाद हमारी अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति में लौट रही है। दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों ने भविष्यवाणी की है कि ये और अच्छा करेगी।

उन्होंने कहा, खेलों में भी हमारे खिलाड़ी देश को गौरवान्वित कर रहे हैं। परिवर्तन दुनिया का नियम है, लेकिन सनातन धर्म पर दृढ़ रहना चाहिए।

नई शिक्षा नीति पर उन्होंने कहा कि हर कोई चाहता है कि नई शिक्षा नीति छात्रों को अच्छा इंसान बनाने और उनमें देशभक्ति की भावना पैदा करने में मदद करे। यह एक मिथक है कि करियर के लिए अंग्रेजी महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति से छात्र बड़े संस्कारी, अच्छे इंसान और देशभक्ति से प्रेरित होंगे। यही सबकी इच्छा है। समाज को इसका सक्रिय रूप से समर्थन करने की जरूरत है।

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