नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित भाजपा के 12 विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार को झटका लगा है। कोर्ट ने स्पीकर के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की उनकी मांग नहीं मानी है। इससे निलंबित विधायक सदन के सत्र में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। कोर्ट ने नोटिस जारी कर विधानसभा सचिव को अपना पक्ष रखने को कहा है। कोर्ट ने विधायकों को एक साल के लिए निलंबित करने के मामले में विधानसभा सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी।
स्पीकर के आदेश पर रोक की मांग नामंजूर
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि याचिका का लंबित रहना याचिकाकर्ता के कार्यकाल में कटौती के संबंध में सदन से आग्रह करने के रास्ते में नहीं आएगा। यह एक ऐसा मामला है जिस पर सदन द्वारा विचार किया जा सकता है।
भाजपा विधायक आशीष शेलार की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा, "स्पीकर का ये फैसला पूरी तरह मनमाना, अनुचित और प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। हमें इस तरह एक साल के लिए निलंबित नहीं किया जा सकता। ये लोकतांत्रिक नियमों के खिलाफ है। ज्यादा से ज्यादा सदन का सत्र चलने तक निलंबित किया जा सकता था।
महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित किए गए भाजपा विधायक आशीष शेलार और अन्य विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि उन्हें 1 साल के लिए निलंबित करने का फैसला दुर्भावना के चलते लिया गया और ऐसा फैसला लेने से पहले उनके पक्ष को भी नहीं सुना गया है।
भाजपा विधायक आशीष शेलार ने याचिका में मांग की गई है कि जिस गैरकानूनी प्रस्ताव के तहत हमें निलंबित किया गया है, उस अवैध प्रस्ताव को खारिज किया जाए। इसके साथ ही अदालत से याचिका में यह भी गुहार लगाई है कि स्पीकर के निलंबन की कार्रवाई के प्रस्ताव पर अंतरिम रोक लगाई जाए तथा इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसला आने तक उनके सभी अधिकार बहाल किया जाए।
बता दें कि विधानसभा के पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ अपमानजनक और दुर्व्यवहार करने के आरोप में 6 जुलाई को महाराष्ट्र विधानसभा से 12 भाजपा विधायकों को एक साल के लिए निलंबित किया गया था। निलंबित किए गए 12 भाजपा विधायकों में आशीष शेलार, गिरिश महाजन, अभिमन्यु पवार, अतुल भातखलकर, नारायण कुचे, संजय कुटे, पराग अलवणी, राम सातपुते, हरीश पिंपले, जयकुमार रावल, योगेश सागर, कीर्ति कुमार बागडिया के नाम शामिल हैं।