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मुंबई: शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि राम मंदिर को कश्मीर की तरह जटिल मुद्दा नहीं बनने देना चाहिए, जिसके समाधान का अब भी इंतजार है। पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में यह राय रखी और अयोध्या में राम मंदिर बनाने की मांग दोहराई।

जटिल न बन जाए यह मुद्दा

शिवसेना ने इस बात पर भी हैरत जताई कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता मंदिर निर्माण में देरी के लिए मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीशों को निशाना क्यों बना रहे हैं। पार्टी ने कहा, इसकी बजाय उन्हें सरकार और भाजपा नेताओं को जवाबदेह ठहराना चाहिए। शिवसेना ने कहा, राम मंदिर के मुद्दे को उतना जटिल नहीं बनने देना चाहिए जितना जम्मू-कश्मीर का मुद्दा है, जिसका निकट भविष्य में कोई समाधान नजर नहीं आ रहा।

 

चार वर्ष में क्यों नहीं सोचा

पार्टी ने कहा कि भाजपा को मंदिर निर्माण में देरी के लिए कांग्रेस पर उंगली नहीं उठानी चाहिए। मंदिर मुद्दे को लेकर बढ़ते दबाव के बीच केंद्र ने बीते मंगलवार सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह अयोध्या में विवादित ढांचे के पास ‘गैर विवादित’ अतिरिक्त जमीन एक हिंदू ट्रस्ट और अन्य मूल जमीन-मालिकों को लौटाने की मंजूरी दे। केंद्र के इस कदम पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने सवाल किया, यह अगर समाधान है तो भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बीते चार साल में इस बारे में क्यों नहीं सोच सकी। ऐसा लगता है कि भाजपा लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर यह प्रस्ताव ले आई है, जो नहीं होना चाहिए था। हालांकि इस देश में भूख से लेकर राम मंदिर तक, कोई भी फैसला हमेशा चुनावों को ध्यान में रखकर किया जाता है।

मंदिर निर्माण की मांग दोहराई

शिवसेना केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की घटक है। मंदिर निर्माण की अपनी मांग को दोहराते हुए उसने कहा, एक बार गैर विवादित भूमि मूल जमीन-मालिकों को लौटाए जाने के बाद वे मंदिर निर्माण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। मुगल बादशाह बाबर का कोई भी वारिस विवादित जमीन पर दावा करने नहीं आएगा, जो महज 0.313 एकड़ है। दूसरों को अदालत में विवादित जमीन को लेकर याचिकाएं दायर करने दीजिए लेकिन गैर विवादित जमीन पर मंदिर निर्माण शुरू किया जा सकता है।

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