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मुंबई: यलगार परिषद मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है कि महाराष्ट्र पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों आयोजित की, जबकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट ने इस पर टिप्पणी आज की है जब इस मामले की जांच एनआई से कराने के लिये दी गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हालांकि अदालत ने मामले की सुनवाई 7 सितंबर तक के लिये स्थगित कर दी है क्योंकि याचिका की कॉपी सभी पक्षों को नहीं सौंपी गई थी। आपको बता दें कि पीएम मोदी की हत्या की साजिश और भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किये गये 5 एक्टिविस्टों के मामले में महाराष्ट्र पुलिस की ओर से पिछले हफ्ते प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी।

इस प्रेस कॉन्फेंस में महाराष्ट्र पुलिस की एडीजी परबीर सिंह की ओर दावा किया गया था कि इन 5 लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। उनका कहना था कि कई चिट्ठियां बरामद हुई हैं। जिसमें ये लोग ग्रेनेड लॉन्चर और 400 राउंड तक खरीदने की प्लान बना रहे थे। वहीं 'मोदी राज' में 'राजीव गांधी जैसी घटना' का भी जिक्र है।

पुलिस का कहना है कि इस ये लोग माओवादियों के लिये फंड जुटाने का भी काम करते हैं। हालांकि एक्टिविस्टों का कहना है कि पुलिस मनगढंत आरोप लगाया है और उसके दावे में कोई सच्चाई नहीं है। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही पुलिस ने सुधा भरद्वाज वरवरा राव, अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वरुण गोन्सालविस को गिरफ्तार किया है।

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