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मुंबई: यहां गुरुवार को न्यायिक हिरासत से रिहा हुई साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि भगवा आतंकवाद शब्द कांग्रेस की देन है और इसे साबित करने के लिए कांग्रेस एवं तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की केन्द्र सरकार ने उनके खिलाफ साजिश रची थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने 'भगवा आतंकवाद' शब्द का प्रयोग किया था लेकिन सच तो यह है कि जो विधर्मी होते हैं वहीं भगवा को आतंकवाद समझते हैं और उन्हें डरना भी चाहिए।' बंबई उच्च न्यायालय ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट की साजिश रचने की आरोपी साध्वी प्रज्ञा (44) को मंगलवार को यह कहकर जमानत दी थी कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता। आज दोपहर उन्हें यहां न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया गया। प्रज्ञा ने खुशीलाल आयुर्वेदिक अस्पताल में न्यायिक हिरासत से रिहा होने के बाद संवाददातओं से कहा कि निश्चित रूप से यह कांग्रेस एवं तत्कालीन संप्रग सरकार की साजिश थी, जिसकी वजह से मेरी नौ साल तक अग्निपरीक्षा हुई। यह भगवा आतंकवाद शब्द को साबित करने के लिए किया गया, जो कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने दिया था। मैं बेकसूर हूं। वह काफी समय से कैंसर पीड़ित है और इस अस्पताल में न्यायिक हिरासत में रहकर अपना इलाज करा रही थी। अब प्रज्ञा न्यायिक हिरासत में नहीं है। हालांकि, इसी अस्पताल में अब भी भर्ती है।

उन्होंने कहा कि भगवा आतंकवाद शब्द कांग्रेस की देन है और इसे साबित करने के लिए यह पार्टी मेरा चेहरा सामने लाई और विभिन्न मामलों में मुझे फंसा कर साजिश की है। प्रज्ञा ने बताया, मैं कांग्रेस की साजिश की शिकार हुई। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस की साजिश की शिकार हुई। मेरा मानना है कि वर्तमान केन्द्र सरकार ऐसी साजिश नहीं करती है। प्रज्ञा ने जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर सवाल उठाया और आरोप लगाया, मुंबई एटीएस 10 अक्तूबर 2008 को सूरत से गिरफ्तार कर मुझे मुंबई ले गई थी। इसके बाद 13 दिन मुझसे अवैध रूप से पूछताछ की। इस दौरान मुझे एटीएस द्वारा प्रताड़ित किया गया। प्रज्ञा ने उनके समर्थकों द्वारा लगाये जा रहे नारे के बीच कहा कि मैं अपने आत्मबल के साथ जिंदा हूं। मैं संन्यासिन हूं। लेकिन मैं मुंबई एटीएस की प्रताड़ना के कारण मेरे यह हाल हुए हैं। मैं निर्दोष हूं। हालांकि, उन्होंने कहा कि मुझे जमानत मिल गई है, लेकिन खराब स्वास्थ्य के चलते मैं तब तक अस्पताल में ही रहूंगी, जब तक पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो जाती। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों से सलाह लेने के बाद ही मैं अस्पताल छोडूंगी। मालेगांव में ब्लास्ट 29 सितंबर 2008 में हुआ था। ब्लास्ट के लिए बम को मोटर साईकिल में लगाया गया था। ब्लास्ट में आठ लोग मारे गए थे और 80 से अधिक लोग घायल हुए थे। प्रारंभ में घटना की जांच महाराष्ट्र पुलिस की एटीएस ने की थी। बाद में मामला जांच के लिए एनआईए को सौंप दिया गया। एनआईए ने अपनी जांच में यह पाया कि घटना की साजिश अप्रैल 2008 में भोपाल में रची गई थी। प्रज्ञा ठाकुर की गिरफ्तारी भी एटीएस ने की थी। गिरफ्तारी का आधार ब्लास्ट में उपयोग की गई मोटर साईकिल थी। यह मोटर साईकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम रजिस्टर्ड थी। प्रज्ञा ठाकुर लगभग नौ साल से जेल में थीं।

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