ताज़ा खबरें
संसद में अडानी और संभल पर हंगामा,दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित
किसान आंदोलन: एसकेएम नेता डल्लेवाल को पुलिस ने हिरासत मे लिया
कन्नौज में एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटना, सैफई में तैनात पांच डॉक्टरों की मौत
दिल्ली-यूपी में बढ़ी ठंड, हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी; तमिलनाडु में तूफान

नई दिल्ली: हिट एंड रन को लेकर नए कानून के खिलाफ आक्रोश के बीच जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। ट्रांसपोर्टर्स ने देशव्यापी हड़ताल की। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए केंद्रीय गृह सचिव ने उनके साथ बैठक की। बैठक और वार्ता का नतीजा भी तत्काल देखने को मिला। अब ट्रांसपोर्टर तत्काल ड्यूटी पर लौटेंगे। इससे पहले अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस की बैठक पर केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा, "हमने आज अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस के प्रतिनिधियों से चर्चा की।

अजय भल्ला ने कहा, सरकार ये बताना चाहती है कि नए कानून और जुर्माने के प्रावधान अभी लागू नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा, भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(2) लागू करने से पहले अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस से विचार विमर्श किया जाएगा। ड्राइवरों और ट्रांसपोर्टर की चिंंताओं को सुनने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

अखिल भारतीय मोटर परिवहन कांग्रेस (एआईएमटीसी) के अध्यक्ष अमृत लाल मदन ने गृह सचिव के साथ बैठक के बाद गतिरोध खत्म करने की अपील की। उन्होंने ड्राइवरों से कहा, आप सिर्फ हमारे ड्राइवर नहीं, सैनिक हैं।

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): नए हिट एंड रन कानून के विरोध में बस और ट्रक ड्राइवरों की बेमियादी हड़ताल लगातार जारी है। सोमवार को ट्रक और बस ड्राइवर, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब समेत कई राज्यों में हड़ताल पर रहे। मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर समेत कई और शहरों में बसें नहीं चलीं। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ट्रक ड्राइवरों ने टायरों में आग लगा दी। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने हिट एंड रन कानून को सख्त बनाने का विरोध किया है। उन्हीं के आह्वान पर चक्का जाम और हड़ताल शुरू हुई है।

हादसे के बाद सूचना ना देने, भाग जाने पर 10 साल तक की सज़ा और 7 लाख जुर्माना देना होगा। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत 2 साल तक की सज़ा मिलती थी और पहले लापरवाही से मौत का मामला माना जाता था। पहले हादसा होने पर ड्राइवरों के खिलाफ धारा 279 के तहत यानी लापरवाही से वाहन चलाने और 304ए यानि लापरवाही से मौत और 338 जान जोखिम में डालने का केस दर्ज होता था। लेकिन नए कानून में 104(2) के तहत केस दर्ज होगा। पुलिस या जज को सूचित ना करने पर 10 साल की कैद के साथ जुर्माना भी देना होगा।

नई दिल्ली: ओडिशा के बालासोर में पिछले साल हुए रेल हादसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। अब अदालत रेलवे में कवच सिस्टम समेत सभी सुरक्षा उपायों का परीक्षण करेगी। वहीं अदालत ने रेलवे से पूछा है कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए कवच सिस्टम समेत क्या सुरक्षा उपाय हैं या भविष्य में क्या उपाय प्रस्तावित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दो दिन के भीतर याचिका की कॉपी एजी को सौंपने के लिए कहा है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख पर एजी सुप्रीम कोर्ट को रेलवे में कवच सिस्टम समेत मौजूदा सुरक्षा उपायों और प्रस्तावित उपायों की जानकारी दें।

एटीपी सिस्टम के लिए दिशा-निर्देशों की मांग

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि क्या कवच प्रणाली को लागू करने के वित्तीय निहितार्थ के संबंध में कोई अध्ययन किया गया है। जस्टिस ने कहा कि हर कदम का वित्त से सह-संबंध होता है, क्योंकि वित्तीय बोझ अंततः यात्रियों पर डाला जाएगा।

नई दिल्‍ली: मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर बने नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में दिसंबर में संशोधित कानून को चुनौती दी गई है। याचिका में मांग की गई है कि संसद द्वारा पास किए गए संशोधन को रद्द किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर नियुक्तियों में देश के मुख्य न्यायाधीश को पैनल में शामिल करने की मांग की गई है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि देश में चुनाव में पारदर्शिता लाने के मद्देनजर मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पैनल में मुख्य न्यायाधीश को शामिल किए जाएं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के पैनल में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता विपक्ष और चीफ जस्टिस शामिल होंगे, जब तक कि कोई कानून ना लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार ने नया कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख