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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): नए हिट एंड रन कानून के विरोध में बस और ट्रक ड्राइवरों की बेमियादी हड़ताल लगातार जारी है। सोमवार को ट्रक और बस ड्राइवर, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब समेत कई राज्यों में हड़ताल पर रहे। मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर समेत कई और शहरों में बसें नहीं चलीं। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ट्रक ड्राइवरों ने टायरों में आग लगा दी। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने हिट एंड रन कानून को सख्त बनाने का विरोध किया है। उन्हीं के आह्वान पर चक्का जाम और हड़ताल शुरू हुई है।

हादसे के बाद सूचना ना देने, भाग जाने पर 10 साल तक की सज़ा और 7 लाख जुर्माना देना होगा। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत 2 साल तक की सज़ा मिलती थी और पहले लापरवाही से मौत का मामला माना जाता था। पहले हादसा होने पर ड्राइवरों के खिलाफ धारा 279 के तहत यानी लापरवाही से वाहन चलाने और 304ए यानि लापरवाही से मौत और 338 जान जोखिम में डालने का केस दर्ज होता था। लेकिन नए कानून में 104(2) के तहत केस दर्ज होगा। पुलिस या जज को सूचित ना करने पर 10 साल की कैद के साथ जुर्माना भी देना होगा।

ट्रांसपोर्टरों ने दिए हैं ये तर्क

कोई जान-बूझकर हादसे नहीं करता है

कोहरे की वजह से हादसा हो तब भी कड़ी सज़ा

हादसे के बाद डर की वजह से भाग जाते हैं

स्थानीय लोगों के डर की वजह से भागते हैं

लंबी प्रक्रिया की वजह से कानूनी रास्ते से घबराते हैं

हड़ताल का असर, पेट्रोल-डीजल की कमी

इधर ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल का असर अब दिखने लगा है। हड़ताल के कारण देश के कई शहरों में पेट्रोल और डीज़ल की कमी हो गई है। पेट्रोल पंपों के बाहर पेट्रोल लेने के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी हुई है। इसकी वजह से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। मध्य प्रदेश के इंदौर में भी ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल की वजह से कई जगहों पर पेट्रोल और डीज़ल की कमी हो गई है। पेट्रोल लेने के लिए लोगों को लंबी कतारों में कड़ा होना पड़ रहा है। इसकी वजह से लोग काफी परेशान हैं।

दिल्ली के गाजीपुर में ड्राइवरों ने कही ये बात

दिल्ली के गाजीपुर के ड्राइवर भी नए कानून का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि ड्राइवरों के नजरिए से कभी कुछ नहीं सोचा जाता। उनका ये भी कहना है कि अगर दुर्घटना के बाद वो भागे तो नया कानून उन्हें मार देगा और वहीं रुके तो पब्लिक उन्हें मार देगी। उन्होंने कहा कि ये काला कानून है, क्योंकि अगर हम सड़क दुर्घटना के बाद भागे तो सरकार का कानून हमें मार देगा और अगर हम दुर्घटना स्थल पर रुक गए तो पब्लिक हमें मार देगी। हमने जिंदगी भर गाड़ी ही चलाई है और कुछ हमें नहीं आता तो हम अब क्या करें। हम सड़क दुर्घटना के बाद वहां से भाग कर पुलिस के पास चले जाएं तो हमें इस कानून में ना डालें। ड्राइवर के लिए कभी भी कोई प्रावधान नही बनाया गया है, क्यों ड्राइवर के लिए नहीं सोचा जाता, क्यों सरकार ड्राइवर के हित के लिए कुछ नहीं करती है। इस कानून से फांसी लगाने की नौबत आ गई है, ड्राइवर 7 लाख कहां से लाएगा। ड्राइवर जब भी एक्सीडेंट करता है तो सीधा थाने ही जाता है, वो कभी घर नहीं जाता, उसमें भी ड्राइवर ही पिसता है। ड्राइवर कभी भी जान बूझकर किसी को नही मारता है, हर किसी को बचा के ही चलता है। लेकिन हमेशा इल्जाम बड़ी गाड़ी वाले पर ही आता है।

उत्तराखंड में भी ट्रक यूनियन हड़ताल पर

उत्तराखंड में भी हिट एंड रन केस के नए प्रावधान को लेकर ट्रक यूनियन वाले हड़ताल पर चले गए हैं और उनकी मांग है कि इस कानून को केंद्र, ट्रक यूनियन और ड्राइवरों का कहना है जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता तब तक हड़ताल रहेगी. ड्राइवरों का कहना है कि हमारी तनख्वाह 8 हजार या 10 हजार है, ऐसे में 5 या 10 लाख कहां से लाएंगे।

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