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नई दिल्ली: मनरेगा और खाद्य सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के संदर्भ में स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि इससे एक तरफ गुजरात मॉडल का दूसरा सच सामने आया है, तो दूसरी तरफ खाद्य सुरक्षा कानून जैसे कार्यक्रमों पर राज्य एवं केंद्र की नैतिक एवं राजनीतिक जवाबदेही के साथ कानूनी जवाबदेही का सवाल भी उठा है। योगेंद्र यादव ने कहा, कोई तो है, जो गुजरात मॉडल का दूसरा सच सामने लाने में सहायक हो रहा है। उन दो राज्यों में से एक गुजरात है जहां खाद्य सुरक्षा कानून लागू नहीं हुआ। दूसरा राज्य उत्तर प्रदेश है। उन्होंने कहा, यह पहला मौका है जब अदालत के स्तर पर सूखे और आपदा को लेकर सरकार की जिम्मेदारी और जवाबदेही का विषय उठाया गया है।

पूर्व 'आप' नेता ने कहा कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने ऐसे कार्यक्रमों को लेकर राज्यों और केंद्र की नैतिक एवं राजनीतिक जवाबदेही के साथ कानूनी जवाबदेही की बात की है। उन्होंने कहा, स्वराज अभियान का यह कहना है कि सरकार इस कानून के मैनुअल और दस्तावेजों में जो बातें शामिल हैं, सिर्फ उन्हीं को लागू कर दे। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू न करने को लेकर कुछ राज्यों को फटकार लगाते हुए कहा कि संसद द्वारा पारित कानून को आखिर गुजरात जैसा राज्य क्यों कार्यान्वित नहीं कर रहा है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अगुवाई वाली एक पीठ ने कहा, संसद क्या कर रही है? क्या गुजरात भारत का हिस्सा नहीं है कानून कहता है कि वह पूरे भारत के लिए है और गुजरात है कि इसका कार्यान्वयन नहीं कर रहा है। कल कोई कह सकता है कि वह आपराधिक दंड संहिता, भारतीय दंड संहिता और प्रमाण कानून को लागू नहीं करेगा। पीठ ने केंद्र से कहा कि वह सूखा प्रभावित राज्यों में मनरेगा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और मध्याह्न भोजन जैसी कल्याणकारी योजनाओं की स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र करे। न्यायालय ने स्वराज अभियान की जनहित याचिका पर यह निर्देश दिया।

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