नई दिल्ली: शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव के लिए गुणवत्ता, पहुंच, वहनीयता, जवाबदेही और समानता पर जोर देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आज स्पष्ट किया कि आईआईटी, एनआईटी में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, दिव्यांगों को फीस से पूरी तरह छूट दी गई है। लोकसभा में आज प्रौद्योगिकी संस्थान संशोधन विधेयक 2016 पर चर्चा का जवाब देते हुए जावडेकर ने कहा कि वर्षो तक हम उच्च शिक्षा समेत सम्पूर्ण शिक्षा के विस्तार पर जोर दे रहे थे और अब गुणवत्ता एवं उत्कृष्टता पर जोर दे रहे हैं। शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव के लिए हम गुणवत्ता, पहुंच, वहनीयता, जवाबदेही और समानता के पांच सूत्री एजेंडे पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी जैसे संस्थानों में हमने क्षमता उन्नयन के साथ छात्रों के प्रदर्शन पर निगरानी रखने, अतिरिक्त कक्षाएं आयोजित करने, छात्रों के बीच शैक्षणिक समन्वय पर जोर दिया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज आईआईटी में प्रत्येक छात्र पर सरकार को 6 लाख रूपये प्रति वर्ष खर्च आता है। और अधिकतम फीस दो लाख रूपये प्रति वर्ष प्रति छात्र है। उन्होंने कहा कि इसमें से आईआईटी और एनआईटी में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों और दिव्यांगों को फीस से पूरी तरह छूट दी गई है।
जिन छात्रों के परिवार की वाषिर्क आय एक लाख रूपये है, उन्हें भी फीस में छूट दी गई है। पांच लाख रूपये सालाना आमदनी वाले छात्रों को 60 हजार रूपये फीस देना है और नौ लाख रूपये तक आय वाले परिवार के छात्रों को ब्याज मुक्त रिण की व्यवस्था की गई है। जावडेकर ने सदस्यों से मुखातिब होते हुए कहा, ‘‘अधिकांश गरीबों को फीस से छूट दी गई है। अमीरों से फीस ले रहे हैं तो ऐसा करने दें। ’’ लोकसभा में आज प्रौद्योगिकी संस्थान संशोधन विधेयक 2016 में एक आधिकारिक संशोधन करते हुए ध्वनिमत से इसे मंजूरी दे दी गयी। इस आधिकारिक संशोधन के तहत धारवार आईआईटी के स्थान पर नाम बदलकर धारवाड़ आईआईटी किया गया है।