नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने भारत मेंकृषि क्रांति के जनक और प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानिक करने का एलान किया है। केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वामीनाथन की बेटी डॉ. सैम्या स्वामीनाथन ने स्वागत किया है।
स्वामीनाथन की बेटी ने केंद्र सरकार के फैसले का किया स्वागत
सैम्या स्वामीनाथन ने बताया कि उनके पिता इस सम्मान से बहुत खुश होते। उन्होंने अवॉर्ड पाने के लिए कभी काम नहीं किया। पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पूर्व उप महानिदेशक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि वह बहुत खुश है और इस बात पर गर्व महसूस कर रही है कि उनके पिता के कार्यों को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सराहा जा रहा है। उन्होंने आगे कहा, 'केंद्र सरकार के इस फैसले ने केवल उनके परिवार और दोस्तों को खुश नहीं किया, बल्कि देश की युवा पीढ़ी के लिए एक संदेश है कि वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर समाज को लाभ पहुंचा सकते हैं।'
उन्होंने कहा, 'मुझे यकीन है कि अगर यह खबर उनके जीवनकाल में आती तो वे भी बहुत खुश होते।
सौम्या ने कहा, उन्होंने कभी अवॉर्ड के लिए काम नहीं किया। उनके पास कई अवॉर्ड और इनाम आए, लेकिन वे केवल अपने काम के परिणाम से प्रेरित होते रहें।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वामीनाथन ने कृषि और किसान कल्याण के लिए अतुल्नीय योगदान दिया है।
खाने की कमीं न हीं होने के उद्देश्य से की थी कृषि की पढ़ाई
एमएस स्वामीनाथन ने देश में खाने की कमी न होने के उद्देश्य से कृषि की पढ़ाई की थी। दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1943 में बंगाल में भीषण अकाल पड़ा था, जिसने उन्हें झकझोर कर रख दिया। इसे देखते हुए उन्होंने 1944 में मद्रास एग्रीकल्चरल कॉलेज से कृषि विज्ञान में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की। 1947 में वह आनुवंशिकी और पादप प्रजनन की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) आ गए। उन्होंने 1949 में साइटोजेनेटिक्स में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने अपना शोध आलू पर किया था।
एमएस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का अगुआ माना जाता है। वह पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सबसे पहले गेहूं की एक बेहतरीन किस्म की पहचान की। इसके कारण भारत में गेहूं उत्पादन में भारी वृद्धि हुई। पिछले साल 28 सितंबर को एमएस स्वामीनाथन का चेन्नई में निधन हुआ था।