नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यपाल को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब मांगा है। अगली सुनवाई सोमवार को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस बात पर नाराजगी जताई कि राज्यपाल की तरफ से कोर्ट को सारी जानकारी क्यों नहीं दी जा रही है । कोर्ट ने कहा कि किन हालातों में राष्ट्रपति शासन लगाया गया है, यह जानकारी हमारे लिए जरूरी है। राज्यपाल के वकील के एक दिन का वक्त मांगने पर कोर्ट ने कहा कि इसके लिए आपको ईटानगर जाने की जरूरत नहीं, ई-मेल से रिपोर्ट मंगाइये। इसके बाद फाइल कोर्ट में लाई गई। गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले के खिलाफ कांंग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई चल रही है।
कोर्ट ने सुनवाई की शुरुआत में कांग्रेस से अपनी याचिका में सुधार करने को भी कहा था। इससे पहले कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम समझ सकते हैं कि इमरजेंसी हालात हैं, लेकिन याचिका में कई खामियां हैं। उनको दुरुस्त किया जाए। कोर्ट ने कहा कि मामला अर्जेंट था, लेकिन याचिका दाखिल करते हुए कोर्ट की फीस (800 रुपये) जमा नहीं की गई। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के गंभीर मामलों में याचिका दाखिल करते हुए सावधानी बरतनी चाहिए। अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की तीखी आलोचना करते हुए कांग्रेस, जदयू, भाकपा और आप ने इसे संघवाद और लोकतंत्र की ‘हत्या’ करार दिया और भाजपा नीत केंद्र सरकार पर देश की सर्वोच्च अदालत को ‘अपमानित’ करने का आरोप लगाया जो अभी मामले की सुनवाई कर रही है। दरअसल, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले दो दिनों में गहन विचार-विमर्श के बाद केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश को मंजूरी प्रदान कर दी थी और इस आधार को स्वीकार कर लिया कि राज्य में ‘संवैधानिक संकट’ है। वहीं अरुणाचल से आने वाले गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि यह कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई है और हमें कांग्रेस से लोकतंत्र का पाठ सीखने की ज़रूरत नहीं है। अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नबाम टुकी का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा। संवैधानिक संकट की शुरुआत बीते साल हुई जब 60 सदस्यों वाली अरुणाचल विधानसभा में तब की कांग्रेस सरकार के 47 विधायकों में से 21 विधायकों ने अपनी ही पार्टी और मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत कर दी। इन विधायकों ने राज्य के डिप्टी स्पीकर को विधायक दल का नेता चुन लिया। बीजेपी के 11 विधायकों ने भी इसका समर्थन किया, जिसके चलते मुख्यमंत्री नबाम टुकी की सरकार अल्पमत में आ गई और राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बन गई।