नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक ऑडियो संदेश जारी किया। उन्होंने कहा, 'अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में केवल 11 दिन ही बचे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मैं भी इस पुण्य अवसर का साक्षी बनूंगा। प्रभु ने मुझे प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है। इसे ध्यान में रखते हुए मैं आज से 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूं। मैं आप सभी जनता-जनार्दन से आशीर्वाद का आकांक्षी हूं। इस समय, अपनी भावनाओं को शब्दों में कह पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन मैंने अपनी तरफ से एक प्रयास किया है।
वीडियो की शुरुआत पीएम मोदी ने 'सियावर रामचंद्र की जय' और 'राम-राम' के साथ की। उन्होंने कहा, 'जीवन के कुछ क्षण ईश्वरीय आशीर्वाद की वजह से ही यथार्थ में बदलते हैं। आज हम सभी भारतीयों के लिए, दुनियाभर में फैले रामभक्तों के लिए ऐसा ही पवित्र अवसर है। हर तरफ प्रभु श्रीराम की भक्ति का अद्भुत वातावरण है। चारों दिशाओं में राम नाम की धूम है।
उन्होंने कहा, राम भजनों की अद्भुत सौंदर्य माधुरी है। हर किसी को इंतजार है 22 जनवरी का। उस ऐतिहासिक पवित्र पल का।'
उन्होंने कहा, 'अब अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में केवल 11 दिन ही बचे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मुझे भी इस पुण्य अवसर का साक्षी बनने का अवसर मिल रहा है। यह मेरे लिए कल्पनातीत अनुभूतियों का समय है। मैं भवुक हूं। भाव विह्वल हूं। मैं पहली बार जीवन में इस तरह के मनोभाव से गुजर रहा हूं। मैं एक अलग ही भाव भक्ति का अनुभव कर रहा हूं। मेरे अतर्मन की यह भाव यात्रा, मेरे लिए अभिव्यक्ति नहीं अनुभूति का अवसर है। चाहे हुए भी मैं इसकी गहनता, तीव्रता और व्यापकता को शब्दों में बांध नहीं पा रहा हूं।'
पीएम मोदी ने आगे कहा, 'आप भी मेरी स्थिति समझ सकते हैं। जिस सपने को अनेकों पीढ़ियों ने वर्षों तक अपने हृदय में एक संकल्प की तरह अपने हृदय में जिया, मुझे उसकी सिद्धी के समय उपस्थित होने का सौभाग्य मिला है। प्रभू ने मुझे सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है।'
उन्होंने कहा, 'यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। जैसा हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है, हमें ईश्वर के यज्ञ, आराधना के लिए स्वयं में भी दैवीय चेतना जागृत करनी होती है। इसके लिए शास्त्रों में व्रत और कठोर नियम बताए गए हैं, जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा से पहले पालन करना होता है। इसलिए आध्यात्मिक यात्रा की कुछ तपस्वी आत्माओं और महापुरुषों से मुझे जो मार्गदर्शन मिला, उन्होंने जो यम नियम सुझाए हैं, उसके अनुसार मैं आज से 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूं। इस पवित्र अवसर पर मैं परमात्मा के श्रीचरणों में प्रार्थना करता हूं। ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों का पुध्यस्मरण करता हूं। जनता-जर्नादन, जो ईवर का रूप है, उनसे प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे आशीर्वाद दें ताकि मन से, वचन से, कर्म से, मेरी तरफ से कोई कमी न रहे।'
पीएम मोदी ने कहा, 'मेरा ये सौभाग्य है कि 11 दिन के अपने अनुष्ठान का आरंभ मैं नासिक धाम-पंचवटी से कर रहा हूं। पंचवटी, वो पावन धरा है, जहां प्रभू श्रीराम ने काफी समय बिताया था और आज मेरे लिए एक सुखद संयोग यह भी है कि आज स्वामी विवेकानंद जी की जन्म जयंती है। ये स्वामी विवेकानंद ही तो थेख् जिन्होंने हजारों वर्षों से आक्रांतित भारत की आत्मा को झकझोरा था। आज वही आत्मविश्वास भव्य राम मंदिर के रूप में हमारी पहचान बनकर सबके सामने हैं।'
उन्होंने कहा, 'सोने पर सुहागा देखिए, आज माता जीजाबाई की भी जन्म जयंती है। माता जीजा बाई, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में एक महामानव को जन्म दिया था। आज हम अपने भारत को जिस अक्षुंड रूप में देख रहे हैं, इसमें माजा जीजाबाई का बहुत बड़ा योगदान है और साथियों जब मैं माता जीजाबाई का पुण्य स्मरण कर रहा हूं तो सहज रूप से मुझे अपनी मां की याद आना स्वाभाविक है। मेरी मां जीवन के अंत तक माला जपते हुए सीताराम का नाम भजा करती थी।'