नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल के राज्यपाल से 15 मिनट के भीतर वह रिपोर्ट मांगी, जिसके आधार पर राष्ट्रपति शासन लगाया गया। कोर्ट ने कहा कि हमें पता होना चाहिए कि राज्यपाल की सिफारिश क्या थी। इससे पहले कोर्ट ने बुधवार को अरूणाचल प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए लागू किए गए राष्ट्रपति शासन के खिलाफ कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह इस मामले में 'आपात' सुनवाई के लिए तैयार है। कोर्ट ने सुनवाई के किए आज दोपहर दो बजे का समय निर्धारित किया है। इस बीच अरूणाचल के पूर्व सीएम नबाम टुकी ने कहा कि प्रदेश के लोग राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने से दुखी हैं। उनको उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट न्याय करेगा।
उन्होंने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि जब से उनकी नियुक्ति हुई है तब से ही वे भाजपा के एक सक्रिय सदस्य की तरह सरकार के खिलाफ काम कर रहे हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश को मंगलवार को मंजूरी दे दी, जिसके साथ ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति ने कैबिनेट की सिफारिश के दो दिनों बाद इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। कैबिनेट ने रविवार को हुई विशेष बैठक में अरूणाचल में केंद्रीय शासन लागू किए जाने की सिफारिश की थी। केंद्रीय गह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि कैबिनेट यह फैसला लेने को बाध्य था क्योंकि वहां संवैधानिक संकट पैदा हो गया था और राज्य विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने की अवधि पूरी हो गयी थी। राष्ट्रपति ने मंगलवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह को बुलाया था और राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की आवश्यकता के बारे में उनसे कुछ सवाल किए थे। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने भी उनसे मुलाकात की थी और कैबिनेट के फैसले का विरोध किया था। गौरतलब है कि अरूणाचल प्रदेश में पिछले साल 16 दिसंबर से राजनीतिक संकट है जब कांग्रेस के 21 विद्रोही विधायकों ने विधानसभाध्यक्ष नबाम रेबिया के महाभियोग के लिए एक अस्थायी स्थल पर भाजपा के 11 और दो निर्दलीय विधायकों के साथ हाथ मिला था। विधानसभाध्यक्ष ने इस कदम को अवैध और असंवैधानिक करार दिया था।