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नई दिल्ली: मिडिल-ईस्ट में नागरिक फ्लाइट्स में उड़ान भर रहे अरबों लोगों की जान खतरे में है। इस खतरे को देखते हुए डीजीसीए ने शुक्रवार (24 नवंबर) को एयरलाइंस और पायलटों को एक सर्कुलर जारी किया है। हाल के दिनों में ऐसी कई रिपोर्टें सामने आई है, जब नागरिक फ्लाइट्स मिडिल ईस्ट के कुछ हिस्सों में उड़ान भरती है तो उनका नेविगेशन सिस्टम प्रभावित हो रहा है। यह खतरा एक बड़े स्तर पर उभर कर सामने आ रहा है।

इसे लेकर डीजीसीए ने एयरलाइंस को सचेत करते हुए एक एडवाइजरी जारी की है। कुछ नागरिक फ्लाइट्स कभी-कभी मिडिल ईस्ट के कुछ हिस्सों में बिना सिग्नल के उड़ान भर रही हैं।

डीजीसीए ने कहा, "एविएशन इंडस्ट्री नए खतरों से जूझ रही है। नेविगेशन सिस्टम का जो खतरा सामने आया है उसे रोकने की कोशिश की जा रही है।"

डीडीसीए की ओर से जारी सर्कुलर सभी फ्लाइट्स ऑपरेटरों और एएनएसपी भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण पर लागू है। सितंबर के अंत में ईरान के पास कई कॉमर्शियल उड़ानें का नेविगेशन सिस्टम बंद हो गया था।

एक फ्लाइट्स तो स्पूफिंग का शिकार हुआ जो बिना अनुमति के ईरानी हवाई क्षेत्र में एंट्री कर गया।

स्पूफिंग कैसे काम करता है?

मिडिल-ईस्ट के कुछ हिस्सों में उड़ान भरने वाले फ्लाइट्सों को पहले एक नकली जीपीएस सिग्नल मिलता है। यह सिग्नल फ्लाइट्स को भटका देता है, जहां इसे जाना होता है, ये उससे मीलों दूर ले जाता है। यह सिग्नल इतना मजबूत होता है कि वह हवाई जहाज के सिस्टम को प्रभावित कर देता है।

ऐसा माना जा रहा है कि जिन क्षेत्रों में युद्ध हो रहा है, वहां सैन्य इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम की तैनाती के कारण जैमिंग और स्पूफिंग हो रही है।

डीजीसीए का प्रेस विज्ञप्ति

नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने शुक्रवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि उसने हवाई क्षेत्र में जीएनएसएस हस्तक्षेप पर एक परिपत्र जारी किया है। आमतौर पर, जीएनएसएस को जाम करने या छेड़छाड़ करने (स्पूफिंग) का तात्पर्य गलत सिग्नल देकर उपयोगकर्ता की नेविगेशन प्रणाली में हेरफेर की कोशिश करना है।

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