नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को अपने 27 जुलाई, 2022 के एक फैसले पर पुनर्विचार के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई आठ सप्ताह के लिए स्थगित कर दी, जिसमें धनशोधन की रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तारी और संपत्ति कुर्क करने की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों को बरकरार रखा गया था।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई स्थगित कर दी जो बुधवार से चल रही थी। केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ताओं द्वारा रखी गईं दलीलों पर विस्तार से ध्यान देने के लिए समय मांगा।
पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी भी शामिल हैं। पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश किए गए संशोधन आवेदन को स्वीकार कर लिया, जिसमें विभिन्न 'नए पहलू' उठाए गए हैं। उसने केंद्र से चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्र के उत्तर पर प्रत्युत्तर उसके बाद चार सप्ताह में दाखिल किया जाए।
उसने कहा, ‘‘स्थगित करने से इस अदालत के पास आदेश लिखने के लिए वास्तव में समय नहीं बचेगा।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हमारे एक साथी (न्यायमूर्ति कौल) के सेवानिवृत्त होने की स्थिति में प्रधान न्यायाधीश को पीठ का पुनर्गठन करना होगा।’’
पीठ ने कहा कि इस संबंध में प्रधान न्यायाधीश से आवश्यक आदेश प्राप्त किया जाए।
न्यायमूर्ति कौल 25 दिसंबर को सेवानिवृत्त होंगे।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने अपनी दलीलें पूरी कीं, जिसके बाद मेहता ने दलील रखने के लिए और समय मांगा और कहा कि शीर्ष अदालत को पीएमएलए को व्यापक रूप से देखना होगा।