नई दिल्ली: पंजाब सरकार और राज्यपाल के बीच गतिरोध को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब में जो हो रहा है, हम उससे खुश नहीं हैं, यह गंभीर चिंता का विषय है। सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी नहीं देने पर पंजाब के राज्यपाल पर नाखुशी जाहिर की और कहा, "आप आग से खेल रहे हैं। हमारा देश स्थापित परंपराओं पर चल रहा है और उनका पालन किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार की तरफ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मौजूदा राज्यपाल के रहते विधानसभा का सत्र बुलाना असंभव सा है। मुख्य न्यायाधीश ने पंजाब राज्यपाल के वकील से पूछा कि अगर विधानसभा का कोई सत्र अवैध घोषित हो भी जाता है, तो सदन द्वारा पास किया गया बिल कैसे गैरकानूनी हो जायेगा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा, क्या राज्यपाल को इस बात का जरा भी अंदेशा है कि वो आग से खेल रहे हैं? अगर राज्यपाल को लगता भी है कि बिल गलत तरीके से पास हुआ है तो उसे विधानसभा अध्यक्ष को वापस भेजना चाहिए। राज्यपाल इसी तरीके से बिल को गैरकानूनी ठहराते रहे तो क्या संसदीय लोकतंत्र बचेगा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल राज्य का संवैधानिक मुखिया होता है, लेकिन पंजाब की स्थिति को देखकर लगता है कि सरकार और उनके बीच बड़ा मतभेद है, जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के वकील से कहा कि आप किसी बिल को अनिश्चित काल के लिए नहीं रोक रख सकते हैं?
सिंघवी ने पंजाब सरकार की तरफ से कहा कि बिल रोकने के बहाने राज्यपाल बदला ले रहे हैं।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आखिर संविधान में कहा लिखा है कि राज्यपाल स्पीकर द्वारा बुलाए गए विधानसभा सत्र को अवैध करार दे सकते हैं।
चीफ जस्टिस ने कहा कि मेरे सामने राज्यपाल के लिखे दो पत्र हैं, जिसमें उन्होंने सरकार को कहा कि चूंकि विधानसभा का सत्र ही वैध नहीं तो वो बिल पर अपनी मंजूरी नहीं दे सकते हैं।
राज्यपाल ने ये कहा कि वो इस विवाद पर कानूनी सलाह के रहे हैं, हमें कानून के मुताबिक ही चलना होगा।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि राज्यपाल का पत्र आखिरी फैसला नहीं हो सकता है। केंद्र सरकार इस विवाद को सुलझाने के लिए रास्ता निकाल रही है।