नई दिल्ली: लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी तनाव के बीच भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई। इस अहम बैठक का 19वां दौर 13-14 अगस्त को भारतीय सीमा पर चुशुल-मोल्डो में आयोजित किया गया था। दोनों पक्षों के बीच पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर शेष मुद्दों के समाधान पर सकारात्मक और गहन चर्चा हुई। दोनों देशों के बीच दूरदर्शी तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया गया।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, बैठक के दौरान चीन शेष मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने पर सहमत हुआ। पड़ोसी मुल्क सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखने पर भी सहमत हुए। दोनों पक्षों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर भी सहमति जताई है।
इससे पहले सूत्रों के हवाले से भी यह बताया गया था कि दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों की वापसी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। भारत ने बैठक में देपसांग और डेमचोक समेत अन्य टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों की जल्द से जल्द वापसी का चीन पर दबाव डाला।
साथ ही बैठक में क्षेत्र में समग्र तनाव को कम करने पर भी चर्चा हुई। यह सैन्य वार्ता दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से एक सप्ताह पहले हुई है। सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग हिस्सा लेंगे।
भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित 14-कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने किया। वहीं चीनी पक्ष की अगुवाई साउथ शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट चीफ ने की। इससे पहले 18वें दौर की वार्ता 23 अप्रैल को हुई थी। इसमें भी भारत ने देपसांग और डेमचोक से सेना हटाने पर जोर दिया था।
कई इलाकों में तनाव बरकरार
पेंटागन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पैंगोंग झील के पास चीन ने डिविजन स्तर के मुख्यालय का निर्माण किया है। यह मुख्यालय गोगरा हॉट स्प्रिंग्स के दक्षिण में स्थित है। गलवान घाटी में अपने इलाके में भी चीन ने बैरकों का निर्माण कर लिया है। भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी सीमा है। यह सीमा तीन सेक्टरों में बंटी हुई हैं। जिनमें पूर्वी सेक्टर, पश्चिमी सेक्टर और मध्य सेक्टर शामिल हैं। भारत के पांच राज्य जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश, चीन के साथ सीमा साझा करते हैं। पश्चिमी सेक्टर में जम्मू कश्मीर, शिनजियांग और अक्साई चिन की सीमा वाला इलाका विवादित है।