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नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव को कम करने के लिए 19वें दौर की बातचीत चुशुल मोल्दो में 14 अगस्त को होगी। चार महीने पहले हुई 18वें दौर की बातचीत का कोई ठोस नतीजा नही निकला था।

कोर कमांडर लेवल पर होने वाली बातचीत में भारत का जोर देपसांग और डेमचोक इलाके से सेना हटाने पर होगा। इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर भारत-चीन सीमा विवाद को सबसे कठिन डिप्लोमेटिक चुनौती बता चुके हैं। वहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा था कि सीमा विवाद की वजह से दोनों देशों के बीच रणनीतिक विश्वास खत्म हो गया है। करीब तीन साल से ज़्यादा समय से भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं।

बता दें कि साल 2020 में गलवान में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर मौजूद हैं। चीन लगातार अपनी तरफ सैन्य ढांचे का विकास कर रहा है, वहीं भारत की तरफ भी इसमें तेजी आई है।

कई इलाकों में तनाव बरकरार

पेंटागन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पैंगोंग झील के पास चीन ने डिविजन स्तर के मुख्यालय का निर्माण किया है। यह मुख्यालय गोगरा हॉट स्प्रिंग्स के दक्षिण में स्थित है। गलवान घाटी में अपने इलाके में भी चीन ने बैरकों का निर्माण कर लिया है। भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी सीमा है। यह सीमा तीन सेक्टरों में बंटी हुई हैं। जिनमें पूर्वी सेक्टर, पश्चिमी सेक्टर और मध्य सेक्टर शामिल हैं। भारत के पांच राज्य जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश, चीन के साथ सीमा साझा करते हैं। पश्चिमी सेक्टर में जम्मू कश्मीर, शिनजियांग और अक्साई चिन की सीमा वाला इलाका विवादित है।

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