नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में कहा कि 'सर्वजन हिताय ही भारत की भावना और ताकत' है। इसका उदाहरण हाल ही में देखने को मिला, जब बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एनडीआरएफ की टीम ने बहुत अच्छा काम किया। साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक दिन में रिकॉर्ड 30 करोड़ पौधे लगाए जाना जन भागीदारी और जागरूकता का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इस बार 4,000 से अधिक मुस्लिम महिलाओं ने ‘महरम' (पुरुष साथी) के बगैर हज किया। उन्होंने हज नीति में बदलाव का जिक्र किया और सऊदी अरब सरकार का आभार जताया।
पीएम मोदी ने कहा, "जुलाई का महीना यानी मॉनसून का महीना, बारिश का महीना. बीते कुछ दिन प्राकृतिक आपदाओं के कारण चिंता और परेशानी से भरे रहे हैं। यमुना समेत कई नदियों में बाढ़ से कई इलाकों में लोगों को तकलीफ उठानी पड़ी। पहाड़ी इलाकों में भू-स्खलन की घटनाएं भी हुई हैं। बारिश का यही समय 'वृक्षारोपण' और 'जल संरक्षण' के लिए भी उतना ही जरूरी होता है। आजादी के 'अमृत महोत्सव' के दौरान बने 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों में भी रौनक बढ़ गई है।
उन्होंने कहा, अभी 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों को बनाने का काम चल भी रहा है। देशवासी पूरी जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ जल संरक्षण के लिए नए-नए प्रयास कर रहे हैं।
पकरिया गांव में वॉटर रिचार्ज सिस्टम
पीएम मोदी ने बताया, "कुछ समय पहले, मैं मध्य प्रदेश के शहडोल गया था। वहां मेरी मुलाकात पकरिया गांव के आदिवासी भाई-बहनों से हुई थी। वहीं, पर मेरी उनसे प्रकृति और पानी को बचाने के लिए भी चर्चा हुई थी। अभी मुझे पता चला है कि पकरिया गांव के आदिवासी भाई-बहनों ने इसे लेकर काम भी शुरू कर दिया है। यहां प्रशासन की मदद से लोगों ने करीब सौ कुओं को 'वॉटर रिचार्ज सिस्टम' में बदल दिया है।
अमेरिकन आए अमरनाथ यात्रा करने...!
उन्होंने कहा, "इस समय 'सावन' का पवित्र महीना चल रहा है. सदाशिव महादेव की साधना-आराधना के साथ ही 'सावन' हरियाली और खुशियों से जुड़ा होता है। इसलिए, 'सावन' का आध्यात्मिक के साथ ही सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व रहा है। सावन के झूले, सावन की मेहंदी, सावन के उत्सव - यानी 'सावन' का मतलब ही आनंद और उल्लास होता है। हमारे ये पर्व और परंपराएं हमें गतिशील बनाते हैं. सावन में शिव आराधना के लिए कितने ही भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं। सावन की वजह से इन दिनों 12 ज्योतिर्लिंगों में भी खूब श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। आपको ये जानकर भी अच्छा लगेगा कि बनारस पहुंचने वाले लोगों की संख्या भी रिकॉर्ड तोड़ रही है। अब काशी में हर साल 10 करोड़ से भी ज्यादा पर्यटक पहुंच रहे हैं। ऐसे में मुझे दो अमेरिकन दोस्तों के बारे में पता चला है जो कैलिफोर्निया से यहां अमरनाथ यात्रा करने आए थे। इन विदेशी मेहमानों ने अमरनाथ यात्रा से जुड़े स्वामी विवेकानंद के अनुभवों के बारे में कहीं सुना था। उससे उन्हें इतनी प्रेरणा मिली कि ये खुद भी अमरनाथ यात्रा करने आ गए। ये, इसे भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद मानते हैं। यही भारत की खासियत है कि सबको अपनाता है, सबको कुछ न कुछ देता है।"
100 साल से ज्यादा उम्र की फ्रेंच योग टीचर
योग के दुनियाभर में होते प्रसार के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने कहा, "एक फ्रेंच मूल की महिला हैं- शारलोट शोपा. बीते दिनों जब मैं फ्रांस गया था, तब इनसे मेरी मुलाकात हुई थी। शारलोट शोपा एक योगाभ्यासकर्ता हैं, योगा टीचर हैं और उनकी उम्र 100 साल से भी ज्यादा है। वो सेंचुरी पार कर चुकी हैं। वो पिछले 40 साल से योग प्रैक्टिस कर रही हैं। वो अपने स्वास्थ्य और 100 साल की इस आयु का श्रेय योग को ही देती हैं। वो दुनिया में भारत के योग विज्ञान और इसकी ताकत का एक प्रमुख चेहरा बन गई हैं।"
देशभर के 18 चित्रकार, पुराणों पर आधारित आकर्षक चित्रकथाएं बना रहे
"मन की बात" के दौरान उन्होंने कहा कि एक प्रयास इन दिनों उज्जैन में चल रहा है। यहां देशभर के 18 चित्रकार, पुराणों पर आधारित आकर्षक चित्रकथाएं बना रहे हैं। ये चित्र, बूंदी शैली, नाथद्वारा शैली, पहाड़ी शैली और अपभ्रंश शैली जैसी कई विशिष्ट शैलियों में बनेंगे। इन्हें उज्जैन के त्रिवेणी संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा, यानि कुछ समय बाद, जब आप उज्जैन जाएंगे, तो महाकाल महालोक के साथ-साथ एक और दिव्य स्थान के आप दर्शन कर सकेंगे। तमिलनाडु में वाडावल्ली के एक साथी हैं, सुरेश राघवन जी। राघवन जी को पेंटिंग का शौक है. आप जानते हैं, चित्रकला और कैनवस से जुड़ा काम है, लेकिन राघवन जी ने तय किया कि वो अपनी पेंटिंग के जरिए पेड़-पौधों और जीव जंतुओं की जानकारी को संरक्षित करेंगे।
अमेरिका ने हमें 100 से ज्यादा प्राचीन कलाकृतियां वापस लौटाईं
पीएम मोदी ने कहा, "कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक अद्भुत क्रैज दिखा। अमेरिका ने हमें सौ से ज्यादा दुर्लभ और प्राचीन कलाकृतियां वापस लौटाई हैं। इस खबर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर इन कलाकृतियों को लेकर खूब चर्चा हुई। भारत लौटीं ये कलाकृतियां ढाई हजार साल से लेकर ढाई सौ साल तक पुरानी हैं।"
'भोजपत्र' बना आजीविका का साधन
देवभूमि उत्तराखंड की कुछ माताओं और बहनों ने जो पत्र मुझे लिखे हैं, वो भावुक कर देने वाले हैं। उन्होंने अपने बेटे को, अपने भाई को, खूब सारा आशीर्वाद दिया है। उन्होंने लिखा है कि उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी, कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर रहा 'भोजपत्र', उनकी आजीविका का, साधन, बन सकता है। मुझे ये पत्र लिखे हैं चमोली जिले की नीती-माणा घाटी की महिलाओं ने। ये वो महिलाएं हैं, जिन्होंने पिछले साल अक्टूबर में मुझे भोजपत्र पर एक अनूठी कलाकृति भेंट की थी। यह उपहार पाकर मैं भी बहुत अभिभूत हो गया। आखिर, हमारे यहां प्राचीन काल से शास्त्र और ग्रंथ, इन्हीं भोजपत्रों पर सहेजे जाते रहे हैं। महाभारत भी तो इसी भोजपत्र पर लिखा गया है। आज भोजपत्र के उत्पादों को यहां आने वाले तीर्थयात्री काफी पसंद कर रहे हैं और इसे अच्छे दामों पर खरीद भी रहे हैं। भोजपत्रों की प्राचीन विरासत, उत्तराखंड की महिलाओं के जीवन में खुशहाली के नए-नए रंग भरी रही है। मुझे यह जानकर भी खुशी हुई है कि भोजपत्र से नए-नए उत्पाद बनाने के लिए राज्य सरकार, महिलाओं को ट्रैनिंग भी दे रही है।