नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर नहीं बल्कि विकास के मुद्दे पर लड़ेगी क्योंकि राममंदिर निर्माण एक ‘सांस्कृतिक मुद्दा’ है। उन्होंने कहा, ‘राममंदिर मुद्दा राजनीतिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक मुद्दा है। यह मामला उच्चतम न्यायालय में है और हम फैसले का इंतजार कर रहे हैं।’ सिंह ने एक टीवी को दिए साक्षात्कार में कहा कि भाजपा देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य का चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ने जा रही है। जब उनसे पूछा गया कि क्या ध्रुवीकरण का भाजपा को फायदा होगा तो उन्होंने कहा, ‘हम कभी ध्रुवीकरण में शामिल नहीं रहे। न अभी शामिल हैं और न कभी शामिल रहेंगे क्योंकि मैं मानता हूं कि ध्रुवीकरण देश के लिए खतरनाक हो सकता है।’ उन्होंने उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत का विश्वास व्यक्त किया। सिंह ने विपक्ष पर ‘बांटो और राज करो’ की नीति पर चलने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री बनने से पहले ही नारा दिया था, ‘सबका साथ सबका विकास’ और यह कि हम बांटो और राज करो की नीति पर सरकार बनाने एवं चलाने की मंशा नहीं पालते।’ उन्होंने कहा, ‘बल्कि हम सबका साथ सबका विकास चाहते हैं। हम जाति, धर्म के आधार पर नहीं बल्कि इंसाफ और मानवता के आधार फैसला करते हैं।’
विपक्षी दलों का नाम लिए बगैर ही सिंह ने कहा कि ये वही लोग हैं जो सत्तारूढ़ भाजपा को बदनाम करते हुए ‘सरकार बनाने’ के लिए ‘बांटो और राज करो’ की नीति पर चलते हैं। उन्होंने कहा कि राजग शासन में उचित पूछताछ और पर्याप्त सबूतों के आधार पर ही कार्रवाई की जाती है। उन्होंने इस बात का भी दृष्टांत दिया कि कुछ सूचना मिलने के बाद हिरासत में लिए गए निर्दोष लोगों को कैसे उनके निर्देश पर छोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि यदि हम जाति, धर्म के आधार पर सराकर चलाते तो ऐसा नहीं करते। सिंह ने कश्मीरी पंडितों के लिए उनके गृह राज्य में समग्र बस्तियां बसाए जाने का पक्ष लिया। उन्होंने कहा, ‘पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती साहब की उपस्थिति में हमने चर्चा की थी और उन्होंने कहा था कि कश्मीरी पंडितों को पुनर्वास के लिए जमीन दी जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘उनके बाद, हमने जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से भी चर्चा की है। वह भी समग्र बस्तियों के प्रस्ताव पर राजी हुई हैं। उन्होंने कहा कि वह भी चाहती है कि कश्मीरी पंडित लौटे और समग्र बस्तियों में कोई दिक्कत नहीं है। यदि पंडितों के साथ कुछ सिख और मुसलमान रहते हैं तो उसमें क्या दिक्कत है।’ वैसे राज्य सरकार ने केंद्र को कश्मीरी पंडितों के लिए तीन जगहों की पहचान करने की सूचना दी है लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि राज्य सरकार ने पूरा ब्योरा नहीं दिया। ये सब बातें कश्मीरी पंडितों के लिए पृथक कॉलोनियों के खिलाफ अलगाववादियों के विरोध के बाद भी हो रही हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास को अपने एजेंडे में शीर्ष पर रखा है और उसने अपने पहले बजट में ही इसके लिए 500 करोड़ रूपए मंजूर किए हैं।