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नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस, बीडीएस पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए राज्यों को परीक्षाएं आयोजित कराने की अनुमति देने वाले केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ याचिका पर अवकाशकाल में सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि उसके (अदालत में कामकाज के) पुन: शुरू होने पर याचिका को सूचीबद्ध होने दें और छात्रों के लिए कुछ सुनिश्चितता आने दें। जानकारी के अनुसार, इस मामले में केंद्र के अध्यादेश पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने सिर्फ एक साल तक राज्यों को राहत दी है, ऐसे में अब सुनवाई करने से भ्रम की स्थिति पैदा होगी। गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट में बीते दिनों एक याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में लाए गए उस अध्यादेश को रद्द करने की मांग की गई जिसके जरिए राज्यों को शैक्षणिक वर्ष 2016-17 में साझा मेडिकल प्रवेश परीक्षा एनईईटी से छूट देने और एमबीबीएस एवं बीडीएस पाठ्यक्रमों में उन्हें अपनी अलग-अलग प्रवेश परीक्षाएं जारी रखने की अनुमति देने के प्रावधान किए गए हैं। अवकाशकालीन पीठ इंदौर के डॉक्टर आनंद राय की ओर से दायर इस याचिका पर सुनवाई से इनकार किया गया। आंनद राय खुद को व्यापम घोटाले का व्हिसलब्लोअर बताते हैं।

अध्यादेश रद्द करने की मांग के अलावा इस याचिका में अंतरिम राहत के तौर पर अध्यादेश के प्रभावी होने पर रोक लगाने का अनुरोध भी किया गया। बता दें कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 24 मई को अध्यादेश को मंजूरी दी थी। मेडिकल में दाखिलों के लिए एनईईटी को केंद्र की ओर से मिले समर्थन का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया कि सरकार ने अब ‘पूरा यू-टर्न’ ले लिया है, जो छात्रों के दाखिले की प्रक्रिया की दिशा में ‘दुर्भावना और गलत मंशा’ दिखाता है। याचिका में कहा गया कि नीट परीक्षा के लिए लाए गए सरकार का अध्यादेश जनहित के खिलाफ है।

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