नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज (गुरूवार) केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह बलात्कार पीड़ितों को पर्याप्त राहत मुहैया कराने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाए। न्यायालय ने यह भी कहा कि ‘निर्भया कोष’ जैसा एक अलग कोष बनाना पर्याप्त नहीं है और यह ‘जुबानी जमाखर्च’ जैसा है। न्यायमूर्ति पीसी पंत और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, ‘अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग योजनाएं हैं। कोई राष्ट्रीय योजना नहीं है कि बलात्कार पीड़ितों को मुआवजा कैसे दिया जाए। ‘निर्भया कोष’ पर्याप्त नहीं है और यह बस जुबानी जमाखर्च है। भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को पर्याप्त राहत मुहैया कराई जाए।’ पीठ ने केंद्र, सभी राज्य सरकारों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस भी जारी किया और सीआरपीसी की धारा 357-ए को प्रभावी तौर पर लागू कराने और पीड़िता मुआवजा योजनाओं की स्थिति को लेकर उनसे जवाब तलब किया। न्यायालय ने ऐसे बलात्कार पीड़ितों की संख्या बताने को भी कहा है जिन्हें मुआवजा दिया गया।
अदालत को न्याय मित्र के तौर पर सहायता दे रहीं जानी-मानी वकील इंदिरा जयसिंह ने कई याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कहा कि ‘पीड़िता मुआवजा योजना’ का क्रियान्वयन चिंता की बात है, क्योंकि 29 राज्यों में से सिर्फ 25 राज्यों ने इस योजना को अधिसूचित किया है।