नई दिल्ली: नाइजीरिया में समुद्री लुटेरों द्वारा अगवा किए गए मरीन इंजीनियर संतोष कुमार भारद्वाज 46 दिन बाद बुधवार की रात मंडुवाडीह स्थित अपने घर पहुंचे। पत्नी समेत पूरा परिवार उन्हें लेने के लिए बाबतपुर एयरपोर्ट गया था। उनकी रिहाई पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि मुझे सूचित करते हुए अत्यंत खुशी है कि संतोष भारद्वाज नाइजीरिया में समुद्री डाकुओं से छूट गए हैं। परिवार के लोगों ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुषमा स्वराज का आभार जताया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को ट्वीट कर संतोष के रिहा होने की जानकारी दी। सुषमा ने कहा, मुझे सूचित करते हुए अत्यन्त खुशी हो रही है कि संतोष भारद्वाज नाइजीरिया में समुद्री डाकुओं से छूट गए हैं। इसके उपरांत दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, सुषमा जी बेहतरीन काम कर रही हैं। मंडुवाडीह के राजतिलक नगर के रहने वाले संतोष भारद्वाज सिंगापुर के ट्रांस ओशन लिमिटेड में मरीन इंजीनियर हैं। संतोष कच्चे तेल से लदा शिप लेकर नाइजीरिया से गुजर रहे थे।
26 मार्च को नाइजीरिया की राजधानी लॉगोस से 30 नॉटिककल मील की दूरी पर समुद्री डाकुओं ने संतोष समेत शिप से पांच लोगों को अपहृत कर लिया। डकैत संतोष को मुक्त करने के एवज में फिरौती मांग रहे थे। वाराणसी में रहने वाले संतोष की पत्नी ने रिहाई के लिए सुषमा स्वराज से गुहार लगाई थी। संतोष की रिहाई के बाद उनकी पत्नी कंचन ने सुषमा स्वराज से कहा, मुझे आपके मंत्रालय पर विश्वास था। इसलिए 45 दिन अपने पति का इंतजार कर सकी, मैं जीवन भर आपकी आभारी रहूंगी। 3 अप्रैल को सुषमा ने ट्वीट कर संतोष की पत्नी से कहा था, बहन आप खाना नहीं छोड़ें। मैं आपके पति को छुड़वाने में कोई कसर नहीं छोडूंगी। संतोष के परिजनों ने मामले की फरियाद पीएम के रवीन्द्रपुरी स्थित जनसम्पर्क कार्यालय से लेकर विदेश मंत्रालय तक की। मामले का संज्ञान लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नाइजीरियाई सरकार पर संतोष को मुक्त कराने के लिए दबाव बनाया। संतोष के साले ज्ञानप्रकाश का कहना है कि भारत सराकर के दबाव पर कंपनी ने डाकुओं को फिरौती देकर आठ मई को संतोष को मुक्त कराया।