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नई दिल्ली: कांग्रेस के 9 बागी विधायक शक्ति परीक्षण में वोट नहीं डाल सकेंगे। उत्तराखंड विधानसभा में 10 मई को शक्ति परीक्षण होना है। सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों की अर्जी पर सुनवाई करने के बाद अपने फैसले में कहा कि कांग्रेस के बागी 9 विधायकों को शक्ति परीक्षण के दौरान वोटिंग का अधिकार नहीं होगा। हाई कोर्ट में अर्जी खारिज होने के बाद बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी। इससे पहले, नैनीताल हाईकोर्ट ने आज (सोमवार) को कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त किए जाने के उत्तराखंड राज्य विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इस अर्जी के खारिज होने के साथ ही यह साफ हो गया कि बागी विधायक शक्ति परीक्षण में वोटिंग नहीं कर पाएंगे। गौरतलब है कि उत्‍तराखंड विधानसभा में मंगलवार को शक्ति परीक्षण होना है। इसके लिए कल (मंगलवार) सुबह 11 बजे विधानसभा में विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने कहा कि ये फैसला न्‍याय की जीत है। हम कल विधानसभा में फ्लोर टेस्‍ट पास करेंगे। दूसरी ओर, उत्तराखंड के अयोग्य करार दिए गए नौ विधायकों ने सोमवार को उच्च न्यायालय में उनकी याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कांग्रेस के इन नौ विधायकों ने 18 मार्च को विनियोग विधेयक पर कार्यवाही के दौरान भाजपा के साथ हाथ मिलाया था, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने उन्हें अयोग्य ठहराने का निर्णय सुनाया था।

न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी ने अध्यक्ष कुंजवाल के इस निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने 10 मई को विधानसभा में शक्ति परीक्षण का आदेश देते हुए कहा था कि अगर शक्ति परीक्षण के दौरान तक उनकी (अयोग्य विधायकों की) यही स्थिति बनी रहती है तो ‘वे (अयोग्य विधायक) शक्ति परीक्षण में शामिल नहीं होंगे। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने आदेश दिया कि पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न एक बजे के बीच दो घंटे के दौरान विश्वास मत पर मतदान होगा। उस दौरान राष्ट्रपति शासन लागू नहीं रहेगा। न्यायालय ने कहा था कि वर्तमान में हमारे फैसले से अयोग्य विधायकों के मामले में किसी किस्म का पूर्वाग्रह नहीं होगा जो फिलहाल उत्तराखंड उच्च न्यायालय के पास विचाराधीन है। उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया कि पूरे दो घंटे की कार्यवाही की वीडियोग्राफी होगी। न्यायालय ने कहा कि विश्वास मत पर मतविभाजन विधानसभा के प्रधान सचिव की निगरानी में होगा।

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