नई दिल्ली: डेढ़ साल पहले अपने व्यापक आंदोलन से नवाज शरीफ सरकार को हिला देने वाले पाकिस्तान के शक्तिशाली धर्मगुरु मोहम्मद ताहिर-उल-कादरी ने कहा है कि आतंकवाद फैलाने के लिए धर्म का इस्तेमाल ‘राजद्रोह’ माना जाना चाहिए और भारत तथा पाकिस्तान को धार्मिक कट्टरता एवं चरमपंथ के विस्तार को रोकने के लिए कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। कादरी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को धार्मिक कट्टरता की काट करने वाले पाठ्यक्रम स्कूलों, कालेजों, युनिवर्सिटियों, मदरसों और धार्मिक संस्थाओं में शुरू करना चाहिए ताकि गलत तत्व युवकों का ब्रेनवाश नहीं कर सकें और धर्म के नाम पर उन्हें हथियार उठाने तथा गलत काम करने के लिए प्रेरित नहीं कर सकें। उन्होंने कहा, ‘जहां भी आस्था और धर्म के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाता है, उसे राजद्रोह की कार्रवाई मानी जानी चाहिए।’ पाकिस्तानी धर्मगुरु ने कहा कि आतंकवाद फैलाने के लिए धर्म का दुरूपयोग करने वाले आतंकवादी संगठनों से पूरी कठोरता से निबटा जाना चाहिए। उन्हें कभी बख्शा नहीं जाना चाहिए। कादरी ने कहा, ‘यह एक आपराधिक कृत्य है। अगर जैश-ए-मोहम्मद, अगर लश्कर-ए-तैयबा, अगर अलकायदा, आईएसआईएस या अगर कोई हिंदू संगठन आतंकवादी हरकत करने के लिए धर्म का उपयोग करता है, तो बहुत कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।’
उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद है और यह वक्त का तकाजा है कि आतंकवादियों से और धर्म के नाम पर गड़बड़ी मचाने एवं हिंसा करने वालों से प्रभावी तौर पर निबटा जाए। कादरी ने कहा, ‘जहां भी आतंकवाद है, जहां भी जड़ें हैं, जहां भी समूह हैं, हर को इसका पता है। भारत और पाकिस्तान दोनों को साझा कार्रवाई करनी चाहिए। जब तक आतंकवाद खत्म नहीं किया जाएगा, क्षेत्र विकास से वंचित रहेगा।’ पाकिस्तानी धर्मगुरू ने भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद एवं वार्ता की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि दोनों ही देशों को फैसला करना चाहिए कि क्या वे दुश्मनी को सात दशक जारी रखना चाहते हैं, या फिर शांति, आर्थिक वृद्धि और विकास की राह पसंद करते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह जीने का तरीका नहीं है। दोनों देशों को एहसास करना चाहिए कि तकरीबन 70 साल गुजर गए। उन्हें फैसला करना चाहिए कि क्या वे शाश्वत दुश्मन की तरह जीना चाहेंगे या फिर वे दोस्ताना पड़ोसी बनेंगे। अगर वे यह बुनियादी बिंदू तय करते हैं सिर्फ तभी अच्छे रिश्तों का एक नया अध्याय शुरू हो सकता है।’ कादरी ने कहा कि युवकों को चरमपंथ में दीक्षित किए जाने से निबटना आतंकवाद और चरमपंथ खत्म करने की कुंजी है। पाकिस्तानी धर्मगुरु से जब इस संबंध में पूछा गया कि भारत पाकिस्तान से आने वाले आतंकवाद का पीड़ित है तो उन्होंने इसका कोई सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद इंसानियत का दुश्मन है और दोनों मुल्कों को कबूल करना चाहिए कि यह उनका साझा दुश्मन है। कादरी ने कहा, ‘मैं हमेशा पुरउम्मीद रहता हूं और भारत और पाकिस्तान के बीच के रिश्तों की बेहतरी के लिए दुआएं करता हूं। लेकिन दोनों मुल्कों को ज्यादा कुछ करने की जरूरत है। जो कुछ चल रहा है, मैं नहीं समझता कि यह गलतफहमियों और दुश्मनी दूर करने के लिए काफी है।’ कादरी से जब पूछा गया कि युवकों को आतंकवाद में दीक्षित होने से कैसे रोका जा सकता है तो उन्होंने कहा कि स्कूलों, कालेजों, युनिवर्सिटियों, मदरसों और धार्मिक संस्थाओं में विशिष्ट पाठ्यक्रम चलाया जाना चाहिए। पाकिस्तानी धर्मगुरु ने कहा, ‘प्राइमरी स्कूल से ही एक विशिष्ट विषय शुरू किया जाना चाहिए। इसे माध्यमिक स्कूलों, और कालेजों से ले कर युनिवर्सिटियों में लागू किया जाना चाहिए। उसी तरह इसे मदरसों, मस्जिदों, मंदिरों और सभी धार्मिक संस्थाओं में शुरू किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘हमें अमन-शांति, आतंकवाद-निरोध और चरमपंथी विचार धाराओं से मुक्ति को विषय बनाने की जरूरत है ताकि नौजवान समझ सकें कि चरमपंथी विचार-धाराएं, दूसरों के प्रति उग्र होना ऐसी चीजें हैं जो हमारे धर्म में स्वीकार्य नहीं है।’