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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में सरकार के गठन को लेकर बढ़ती अटकलों के बीच पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की लेकिन इस संबंध में कोई स्पष्ट संकेत नहीं था कि उन्होंने क्या कोई प्रगति हासिल की है। पीडीपी वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा लोकसभा में दिए गए उस बयान पर बल दे सकती है जिसमें उन्होंने राज्य में सभी परियोजनाओं के तेज क्रियान्वयन का वादा किया था। पीडीपी ने मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद अपना रुख कड़ा कर लिया था तथा गठबंधन बहाल करने के लिए राज्य के विकास के लिए ठोस योजनाओं की मांग की थी। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती संसद के बजट सत्र में हिस्सा लेने के लिए राजधानी दिल्ली में थीं। वह बैठक के लिए बिना सुरक्षा के एक कार से पहुंच गईं। दोनों नेताओं के बीच यह बैठक करीब आधे घंटे चली। दोनों पार्टियों ने इस बैठक पर चुप्पी साधे रखी लेकिन इसके बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि यह दोनों पार्टियों द्वारा गठबंधन बहाल करने से पहले किए जाने वाले गहन प्रयासों का एक हिस्सा था।

सईद के समय के गठबंधन के शिल्पकारों में से एक माने जाने वाले राज्य के पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्रबू के बारे में भी कहा जा रहा है कि वह पीडीपी और भाजपा को साथ लाने के लिए जमीनी कार्य कर रहे हैं। 87 सदस्यीय विधानसभा में पीडीपी के 27 और भाजपा के 25 विधायक हैं। सूत्रों ने कहा कि कुछ मंत्रालयों के साथ मशविरा हुआ है और राज्य में राज्यपाल शासन जल्द समाप्त हो सकता है। राज्य में राज्यपाल शासन आठ जनवरी को तब लगाया गया था जब महबूबा ने अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद शासन नहीं संभालने का निर्णय किया था। जेटली ने इस सप्ताह के शुरू में संसद में घोषणा की थी कि केंद्र जम्मू-कश्मीर को विशेष पैकेज के तौर पर घोषित सभी परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाएगा।

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