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नई दिल्ली: तमिलनाडु के तूतीकोरिन के बाद अब पूर्वी ओडिशा में स्थित नियामगिरी हिल्स में बॉक्साइट के खनन के खिलाफ लोग गोलबंद होने लगे हैं। वैसे यहां के आदिवासी सालों से आंदोलन करते रहे हैं लेकिन तूतीकोरिन के आन्दोलन की सफलता के बाद यहां के आदिवासी एवं स्थानीय एक्टिविस्ट एक बार फिर से संघर्ष के मूड में दिख रहे हैं।

आपको बता दें कि जनजातीय लोग इस इलाके को पवित्र मानते हैं और यहां ऐसी किसी भी गतिविधि के सख्त खिलाफ हैं। हिंसक विरोध प्रदर्शन के चलते वेदांता की स्टरलाइट यूनिट बंद किए जाने के बाद अब कंपनी के समक्ष 1,000 मील की दूरी पर फिर ऐसी ही चुनौती उभर आई है। यहां भी एक आदिवासी समुदाय और कुछ पर्यावरणविद लोगों की ओर से एल्युमिना रिफाइनरी को बंद किए जाने की मांग का समर्थन किया जा रहा है। लंदन में लिस्टेड कंपनी के प्लांट को बंद करने के लिए कई सालों से स्थानीय लोग और ऐक्टिविस्ट आंदोलन करते रहे हैं।

पूर्वी ओडिशा में स्थित नियामगिरी हिल्स में बॉक्साइट के खनन के खिलाफ सालों से आंदोलन करते रहे हैं। जानकारी में रहे कि विगत दिनों तमिलनाडु में कॉपर को पिघलाने वाली यूनिट को बंद करने की मांग पर अड़े प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग किए जाने के चलते 13 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद ओडिशा में कंपनी की रिफाइनरी के विस्तार के प्रॉजेक्ट का विरोध भी खासा तेज हो गया है।

वेदांता की भारतीय यूनिट ने इस प्लांट के विस्तार की योजना बनाई है। लांजीगढ़ में रिफाइनरी के खिलाफ एक आंदोलन को संबोधित करते हुए कंधे पर कुल्हाड़ी रखे हुए जनजातीय नेता लाडो सिकाका ने कहा, हम नियामगिरी के लिए अपना रक्त बहा देंगे. इसके लिए हम मर भी सकते हैं। जनजातीय समुदाय के भगवान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, वेदांता हम में से कुछ लोगों को ही नौकरी दे सकता है लेकिन नियामराजा हमें सब कुछ देता है।

सिकाका ने कहा, हम आखिरी तक अपनी लड़ाई लड़ते रहेंगे। हम अपने आंदोलन को तेज करेंगे। उनके पीछे लहराए जाने वाले पोस्टरों में लिखा था, प्रदूषक और हत्यारी कंपनी वेदांता को भारत छोडऩा होगा। तूतीकोरिन के शहीदों को श्रद्धांजलि।

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