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लखनऊ: टेलीविजन रेटिंग प्वाइन्टस (टीआरपी) के फर्जीवाड़े पर लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में भी एक विज्ञापन कम्पनी गोल्डेन रैबिट लि. के क्षेत्रीय निदेशक कमल शर्मा ने अज्ञात चैनलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी है। दो दिन पहले गुपचुप तरीके से दर्ज की गई इस एफआईआर की जांच सीबीआई से कराने का अनुरोध भी किया गया। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया कि सरकार ने इस फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी गई है। सीबीआई ने केस स्वीकार कर लिया है।

गोल्डेन रैबिट कम्पनी के क्षेत्रीय निदेशक इंदिरा नगर निवासी कमल शर्मा ने तहरीर में लिखा है कि गलत तरीके से टीआरपी को ज्यादा दिखाकर विज्ञापनदाताओं और उपभोक्ताओं को ठगा जा रहा है। इस टीआरपी के आधार पर ही विज्ञापनदाता तय करते हैं कि किस चैनल को विज्ञापन देना है। कई विज्ञापन एजेन्सियां भी इसी टीआरपी को मानक मानकर अपने उपभोक्ताओं से डील करती हैं कि फलां चैनल में कितनी देर तक का विज्ञापन दे जो उनके लिये फायदेमंद रहता है।

इसके लिये चैनल एक संस्था के द्वारा रैन्डम सर्वे कराती है। पर, फर्जीवाड़े के लिये रैन्डम सर्वे न करा कर ये लोग घरों को चिन्हित कर लेते हैं। फिर मिलीभगत कर उनके यहां पीपुल मीटर डेवाइस लगा देते हैं। इस डेवाइस से ही डेटा तैयार किया जाता है कि उस घर में कौन सा चैनल और उसका कौन सा प्रोग्राम ज्यादा व कितने समय तक देखा गया। इसकी मानीटरिंग सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा अधिकृत संस्था बीएआरसी (ब्रॉडकास्टिंग आडियन्स रिसर्च काउन्सिल) द्वारा की जाती है।

इसके बावजूद कई टेलीविजन चैनल फर्जी टीआरपी से उपभोक्ताओं व विज्ञापनदाताओं से धोखाधड़ी कर रहे हैं। कमल शर्मा ने कहा है कि इस पूरी प्रक्रिया में प्रत्यक्ष ओर अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हर व्यक्ति व संस्था के खिलाफ साजिश में शामिल होने के तहत कार्रवाई की जानी चाहिये। इन धाराओं में दर्ज हुई एफआईआर120 बी, 34, 406,408,409,420,463,465,468।

 

 

 

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