ताज़ा खबरें
केंद्र के साथ बैठक बेनतीजा, शंभू और खनौरी बॉर्डर से हटाए गए किसान
राज्यों के विकास सूचकांक और बीपीएल में विरोधाभास है: सुप्रीम कोर्ट
आयत वाली कोई चादर नहीं जलाई गई: नागपुर हिंसा पर सीएम फडणवीस
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर नौ महीने बाद पृथ्वी पर सुरक्षित लौटे
जम्मू में घुसपैठ से जुड़े मामले में 12 स्थानों पर एनआईए की छापेमारी

मथुरा: मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि से मस्जिद हटाने की याचिका कोर्ट ने स्वीकार कर ली। इस मामले में अगली सुनवाई अब 18 नवंबर को होगी। यह अपील जिला जज मथुरा साधनी रानी ठाकुर की कोर्ट में 12 अक्तूबर को दायर की गई थी। कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान, ईदगाह ट्रस्ट, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही मस्जिद ईदगाह को नोटिस भी भेजा है। 

मथुरा की सीनियर सिविल जज छाया शर्मा की अदालत में श्रीकृष्ण ठाकुरजी विराजमान सहित कई भक्तगणों को वादी बनाते हुए मांग की है कि 12 अक्टूवर 1968 को हुए समझौता और 20 जुलाई 1973 को हुई डिक्री रद किया जाए। याचिका के जरिए 13.37 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मालिकाना हक मांगा है, जिसमें ईदगाह भी शामिल है। वाद में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने का अनुरोध किया गया है। यह भी कहा गया है कि श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को यह समझौता करने का अधिकार नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के पिता-पुत्र अधिवक्ता हरीशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर वाद में 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर 1968 में हुए समझौते को गलत बताया गया। 

 

ये हैं वादी-प्रतिवादी

ये वाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से उनकी सखी के रूप में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने दाखिल किया था। याचिका में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, कमेटी ऑफ मेनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को पार्टी बनाया गया । 

भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री, प्रवेश कुमार, राजेश मणि त्रिपाठी, तरुणेश कुमार शुक्ला, शिवाजी सिंह, त्रिपुरारी तिवारी वादी हैं। जबकि यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को पार्टी बनाया गया है। 

57 पेज की है याचिका

अधिवक्ता विष्णु जैन और हरिशंकर जैन द्वारा सीनियर सिविल जज छाया शर्मा की अदालत में दायर यह याचिका 57 पेज की है। जिसमें उन्होंने अपनी सारी बातें रखी हैं।

 

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख