लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा गठबंधन से अलग जाने पर अखिलेश यादव ने मीडिया से बातचीत में बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जब आप कुछ नया करते हैं तो भले ही सफलता न मिले, लेकिन काफी कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि सपा-बसपा गठबंधन की घोषणा पर मैंने पहले ही कहा था कि मायावती का सम्मान मेरा सम्मान है। मैं आज भी यही कहता हूं और जहां तक उपचुनाव अकेले लड़ने की बात है अब सभी के लिए रास्ता खुला हुआ है। हम पार्टी नेताओं से चर्चा करेंगे और आगे की योजना तैयार करेंगे।
अखिलेश ने कहा, 'यह एक प्रयोग था जो फेल हुआ और इसने हमारी कमजोरियों को उजागर किया।' उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए वह अपनी पार्टी के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। अखिलेश ने कहा, 'मैं विज्ञान का छात्र रहा हूं, वहां प्रयोग होते हैं और कई बार प्रयोग फेल हो जाते हैं, लेकिन तब आप यह महसूस करते हैं कि कमी कहां थी। लेकिन मैं आज भी कहूंगा, जो मैंने गठबंधन करते समय भी कहा था, मायावती जी का सम्मान मेरा सम्मान है।'
गौरतलब है कि मंगलवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस कर यूपी में होने वाले उपचुनाव अकेले लड़ने की घोषणा कर दी थी। उन्होंने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव से उनके रिश्ते कभी खत्म नहीं होने वाले हैं। ‘‘सपा के साथ यादव वोट भी नहीं टिका रहा। अगर सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों के साथ अपने लोगों को मिशनरी बनाने में सफल रहे तो साथ चलने की सोचेंगे। फिलहाल हमने उपचुनावों में अकेले लड़ने का फैसला किया है।’’
उल्लेखनीय है कि हाल ही में संपन्न हुये लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से नौ भाजपा विधायकों और सपा, बसपा के एक एक विधायक के सांसद बनने के बाद रिक्त होने वाली 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव संभावित है। इन सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बसपा के अपने बलबूते चुनाव लड़ने का फैसला मायावती की अध्यक्षता में सोमवार को हुयी पार्टी नेताओं की बैठक में किया गया था।
मायावती ने मंगलवार को अपने बयान के जरिये इसकी आधिकारिक पुष्टि की। लोकसभा चुनाव के परिणाम की समीक्षा के आधार पर बसपा प्रमुख ने चुनाव में हार के लिए सपा को जिम्मेदार ठहराते हुये कहा कि लोकसभा चुनाव में यादव मतदाताओं ने उत्तर प्रदेश में सपा बसपा का साथ नहीं दिया। हालांकि उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से कोई मनमुटाव नहीं होने की भी बात कही है।