लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज लखनऊ में शिवपाल यादव का नाम लिए बिना कहा कि वो आस्तीन के सांपों को पहचान गए हैं। समाजवादी पार्टी के दफ्तर में आज पार्टी के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ की मीटिंग थी, जिसमें कुछ संपेरे बीन बजाकर अपना हुनर दिखा रहे थे। अखिलेश ने बताया कि ये संपेरे बीन बजाकर पार्टी का प्रचार करेंगे। उसी वक्त वहां ये खबर आई कि उनके चाचा शिवपाल यादव ने सेक्युलर मोर्चा बनाने का ऐलान किया है.। इस पर एक रिपोर्टर ने जब उनसे ये पूछा कि ''ये संपेरे बीन बजाकर सिर्फ पार्टी का प्रचार करेंगे या आस्तिन के सांप भी निकालेंगे।'' इस पर अखिलेश ने कहा कि ''संपेरों का हुनर झाडि़यों और बिलों में सांप निकालना है, लेकिन हम लोग नेता हैं... आस्तिन के सांप पहचान लेने का हुनर हमारा है।'' यूपी विधानसभा चुनावों से पहले शुरू हुई यादव परिवार की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। चूंकि विधानसभा चुनावों के वक्त अखिलेश यादव ने बार-बार ये बयान दिया था कि तीन महीने बाद वो पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद मुलायम सिंह को लौटा देंगे... इसलिए अब इसे लेकर अखिलेश यादव से सवाल पूछे जाने लगे हैं। पिछले दिनों सबसे पहले मुलायम सिंह ने मैनपुरी की एक सभा में अपने भाषण में अखिलेश के लिए कहा कि ''मेरा इतना अपमान जीवन में कभी नहीं हुआ था.. जो अपने बाप का नहीं हुआ वो किसी और का क्या होगा।''
इसके बाद मुलायम सिंह की छोटी बहु अपर्णा यादव ने कहा कि ''अखिलेश भईया को अब अध्यक्ष पद नेताजी को सौंप देना चाहिए।'' और अब शिवपाल यादव यही मांग उठा रहे हैं। शिवपाल यादव आज अपने गांव सैफई में जब किसी शादी में शिरकत करने जा रहे थे तो मीडिया के लोगों ने उनसे सवाल-जबाव किए तो उन्होंने कहा कि 'अखिलेश के वादे को दो महीने गुजर गए हैं। एक महीना और बचा है। अगर उन्होंने नेताजी को अध्यक्ष पद नहीं लौटाया तो एक सेक्युलर मोर्चा बनाया जाएगा। नेताजी उस मोर्चे के अध्यक्ष होंगे। इस मोर्चे में सभी सेक्युलर लोग शामिल किए जाएंगे'। चंद दिनों पहले इसी मुद्दे पर शिवपाल और रामगोपाल यादव के बीच भी जुबानी तीर चल चुके हैं। रामगोपाल यादव से जब मीडिया ने पूछा कि शिवपाल यादव अखिलेश से कह रहे हैं कि वो मुलायम सिंह को अध्यक्ष पद लौटाएं। तो रामगोपाल ने कहा कि 'शिवपाल बेकार की बातें करते हैं, क्योंकि उन्होंने पार्टी का संविधान नहीं पढ़ा है। इसके जवाब में शिवपाल ने कहा कि ''मैंने संविधान पढ़ा हो या नहीं, लेकिन शकुनि को गीता जरूर पढ़ लेनी चाहिए।''. अब लोग इस बात के इंतज़ार में हैं कि शिवपाल का सेक्युलर मोर्चा कब वजूद में आता है और कब वह राजनीतिक दल बनता है।