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बेंगलुरु: कावेरी जल विवाद के मद्देनजर कर्नाटक में गुरुवार को एक दिन का बंद किया गया है। मांड्या में रेलवे ट्रैक की खास निेगरानी की जा रही है। विवाद का कारण सुप्रीम कोर्ट का वह आदेश है, जिस कारण कर्नाटक को 15 हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडु के लिए छोड़ना पड़ा है। बंद के मद्देनजर सुरक्षा काफी कड़ी कर दी गई है। बंद के दौरान कई जगहों पर प्रदर्शन किए गए। प्रदर्शनकारियों ने गिरफ्तारियां भी दी हैं। गौर हो कि कावेरी जल विवाद गहराने के बाद करीब एक हफ्ते पहले भी कर्नाटक में राज्यव्यापी बंद का ऐलान किया गया था, जिसका असर राज्य पूरे राज्य पर पड़ा। इससे पहले, देश के प्रौद्योगिक केंद्र के रूप में चर्चित इस शहर में बुधवार को स्थिति सामान्य हो गई जिसके बाद पुलिस ने कर्फ्यू हटा लिया। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर कर्नाटक ने तमिलनाडु के लिए कावेरी से जल छोड़ा था जिसके विरोध में यहां दो दिनों तक हिंसा का दौर जारी रहा था। पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के साथ कावेरी जल साझेदारी को लेकर हुई हिंसा के बाद बुधवार को हालात में सुधार को देखते हुए बेंगलुरु के सभी 16 पुलिस थाना क्षेत्रों से कर्फ्यू हटा लिया गया। सड़क परिवहन, मेट्रो, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, स्कूलों और कॉलेजों में गतिविधियां सामान्य होने के साथ ही देश की आईटी राजधानी में चहल-पहल फिर लौट आयी है। शहर के पुलिस आयुक्त एनएस मेघरिख ने ट्वीट किया कि बेंगलुरु शहर के सभी 16 पुलिस थाना क्षेत्रों से आज सुबह नौ बजे से कफ्र्यू हटा लिया गया है।

तमिलनाडु में कन्नड़ों और उनकी संपति पर हमलों की सूचना के बाद शहर में हिंसा भड़क गयी और भीड़ ने तमिलनाडु में पंजीकृत दर्जनों बसों तथा लॉरियों को आग लगा दी। इन हिंसक घटनाओं के बाद 12 सितंबर की रात को कर्फ्यू लगाया गया। उच्चतम न्यायालय ने पांच सितंबर को अपने आदेश में बदलाव करते हुए कर्नाटक से कहा कि वह 20 सितंबर तक तमिलनाडु को 12,000 क्यूसेक कावेरी का पानी दे। यह फैसला आने के कुछ ही घंटे बाद हिंसा शुरू हो गयी थी। उच्चतम न्यायालय ने पांच सितंबर को अपने आदेश में कहा था कि कर्नाटक 10 दिनों में कावेरी से 15,000 क्यूसेक पानी छोड़े ताकि पड़ोसी राज्य में किसानों की समस्याओं का निदान हो सके। हालांकि कर्फ्यू हटा दिया गया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि एहतियात के तौर पर सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा अगला आदेश आने तक जारी रहेगी। पुलिस ने कन्नड़-समर्थक नेता वटल नागराज की पार्टी को गुरुवार को रेल रोको आंदोलन करने की अनुमति नहीं दी है। हिंसा के मामलों में 350 लोगों को हिरासत में लिया गया है और दोषियों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है।

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