बंगलूरू: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से सीख लेते हुए कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार अब प्रदर्शनकारियों से सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई करेगी। कर्नाटक में 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ मंगलूरू में प्रदर्शन हुए थे। जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। राजस्व मंत्री आर अशोक ने गुरुवार को कहा कि सरकार जल्द ही इसपर फैसला लेगी। एक भीड़ बेकाबू हो गई और उसने मंगलूरू उत्तरी पुलिस स्टेशन में हथियारों की लूट शूरू कर दी। जिसके बाद मजबूरन पुलिस को गोली चलानी पड़ी। इसमें दो प्रदर्शनकारियों की मौत हुई थी। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने का एलान किया है।
उत्तर प्रदेश अभी तक अकेला ऐसा राज्य है जिसने प्रदर्शनकारियों को नोटिस भेजकर रिकवरी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यूपी सरकार ने लगभग 130 लोगों को नोटिस जारी किए हैं जिन्हें 50 लाख रुपये अदा करने को कहा गया है। यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी संपत्ति को कुर्क कर दिया जाएगा।
प्रदर्शन के दौरान की वीडियो और तस्वीरों के जरिए उन लोगों की पहचान की जा रही है जिन्होंने पत्थर फेंके या संपत्ति को नुकसान पहुंचाया उन्हें नोटिस भेजे जा रहे हैं।
अशोक के घोषणा के कुछ घंटों पहले उनके साथी सीटी रवि और पार्टी के सांसद शोभा करांदलजे ने यूपी के उदाहरण का अनुसरण करके मंगलूरू के दंगाइयों के खिलाफ दंडात्मक उपाय करने की मांग उठाई थी। मंगलूरू में रवि का कहना है कि प्रदर्शनकारियों पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए जुर्माना लगाया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदर्शनकारियों पर गुंडा अधिनियम के तहत मामला दर्ज करना चाहिए।
कांग्रेस के पूर्व मंत्री यूटी खादर का कहना है कि कर्नाटक सरकार को इस तरह के बयान देने की बजाए राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने पर ध्यान देना चाहिए।