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बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष का नेता तय करने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री द्वारा रविवार को बुलायी गयी बैठक में बैठक में कई नेताओं ने इस पद पर दावा किया जिसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी सामने आ गयी। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि एक निजी होटल में यह तय करने के लिए बैठक बुलायी गयी थी कि कौन विपक्ष का नेता होगा, और वहां कई नेताओं ने इस पद पर दावा किया। दस अक्टूबर से विधानसभा का सत्र शुरू होने में मात्र तीन दिन रह गये हैं लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भाजपा का मुकाबला करने के लिए अब तक विधानसभा में अपना नेता चुन नहीं पायी है।

सूत्रों के अनुसार पिछली कांग्रेस जद(एस) गठबंधन सरकार के दौरान कांग्रेस विधायक दल के नेता रहे पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के अलावा, पूर्व मंत्री एच के पाटिल, पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ . परमेश्वर समेत कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने इस पद पर दावा किया। हालांकि, कुछ विधायकों ने सिद्धरमैया का विपक्ष के नेता के रूप में समर्थन किया लेकिन अन्य नेताओं खासकर पूर्व लोकसभा सदस्य के एच मुनियप्पा ने उनका विरोध किया।

बैठक के बाद पाटिल ने संवाददाताओं से कहा कि मिस्त्री ने विधानसभा में कांग्रेस के नेता के चयन और पार्टी संगठन एवं अंदरूनी लोकतंत्र को मजबूत करने के विषय पर नेताओं के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा , ''उन्होंने (मिस्त्री ने) अलग-अलग सभी नेताओं की राय मांगी। मिस्त्री कांग्रेस के कर्नाटक मामलों के प्रभारी हैं। वह राज्य की वर्तमान स्थिति को समझते हैं। वह हमारी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौंपेंगे।

उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेतृत्व का जो भी निर्णय होगा, कर्नाटक में पार्टी के सभी नेताओं के लिए मान्य होगा। मुनियप्पा ने कहा कि उन्होंने मिस्त्री को ऐसे सुझाव दिये हैं जो पार्टी के सबसे अधिक हित में है। जब उनसे पूछा गया कि क्या लंबे समय से कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे नेताओं को वरीयता दी जाएगी तो उन्होंने सिद्धरमैया पर प्रहार किया और कहा कि उनसे जवाब की उम्मीद कैसे की जाए जब एक नये व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना दिया गया था। सिद्धरमैया पहले जद (एस) में थे और पार्टी से निकाल दिये जाने के बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गये थे।

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