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नई दिल्ली: कर्नाटक में अयोग्य ठहराए गए 15 विधायकों की सीट पर उपचुनाव कराए जाएं या फिर इन विधायकों को भी चुनाव लड़ने की इजाजत दी जाए, इस पर अब सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा। चुनाव आयोग ने इन सीटों पर उपचुनाव घोषित किए हैं। इसलिए अयोग्य विधायकों का कहना है कि उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही लंबित है। अगर उपचुनाव हुए तो उनकी याचिका निष्प्रभावी हो जाएगी।

आपको बता दें कि दरअसल सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक के 17 अयोग्य विधायकों द्वारा तत्कालीन स्पीकर रमेश कुमार के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें उनके इस्तीफे को खारिज कर दिया गया था और उन्हें 15 वीं कर्नाटक विधानसभा के कार्यकाल के लिए फिर से विधायक होने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। विधायकों की येदियुरप्पा मंत्रालय में शामिल नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्हें अयोग्य घोषित किया गया था।

विधायकों ने अयोग्य ठहराए जाने को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन बताया क्योंकि शीर्ष अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा था कि विश्वास मत के दौरान सदन में उपस्थित होने के लिए बाध्य करने के लिए स्पीकर द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जा सकता। उन्होंने अध्यक्ष पर 10 वीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत अयोग्य ठहराने के आरोपों को गलत बताया और कहा है कि अनिवार्य नोटिस अवधि के बिना निर्णय लिया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अध्यक्ष ने संविधान के वर्गों की व्याख्या को जानबूझकर विकृत किया।

बागी विधायकों ने यह भी तर्क दिया कि उनमें से अधिकांश ने पहले ही इस्तीफा दे दिया था और उनके इस्तीफे पर फैसला करने के बजाए स्पीकर ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जो कि अवैध है। यह भी तर्क दिया कि अध्यक्ष ने 'प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत' का उल्लंघन किया था क्योंकि अयोग्यता से पहले कोई सुनवाई नहीं की गई थी। उनका कहना है कि 28 जुलाई को पारित स्पीकर के आदेश "पूरी तरह से अवैध, मनमानी और दुर्भावनापूर्ण" थे, क्योंकि उन्होंने मनमाने ढंग से इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया जबकि वो स्वैच्छिक और वास्तविक थे।

उन्होंने कहा कि उन लोगों ने 6 जुलाई को इस्तीफा दे दिया था, लेकिन स्पीकर केआर रमेश कुमार ने कांग्रेस पार्टी द्वारा 10 जुलाई को दायर "पूरी तरह से गलत" याचिका के आधार पर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। विधायकों की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि नियम के हिसाब से स्पीकर ने जो किया वो असंवैधानिक है। ऐसे में मामले को फिर से स्पीकर के पास भेजा जाना चाहिए क्योंकि अपनी बात रखने के लिए विधायकों को नियम के मुताबिक 7 दिनों का समय नहीं मिला।

उन्होंने कहा कि स्पीकर ने पूरी विधानसभा कार्यकाल तक यानी 2023 तक अयोग्य करार दे दिया। अगर उपचुनाव होते हैं तो भी उन्हें दोबारा चुनाव लड़ने का अधिकार है।

मुकुल ने कहा कि स्पीकर ने विधायकों को अयोग्यता के मामले में तीन दिनों के भीतर जवाब देने को कहा था लेकिन नियम कहता है कि 7 दिनों का वक्त दिया जाता है। स्पीकर ने आदेश में कहा कि इस्तीफा की अर्जी खारिज है और आप पूरे टर्म के लिए अयोग्य क़रार दिए जाते है जो कि सही नहीं है। अगर उपचुनाव होते भी हैं तो अयोग्य विधायकों को चुनाव लड़ने की इजाजत हो क्योंकि चुनाव लड़ना संवैधानिक अधिकार हैफ। वहीं चुनाव आयोग ने भी कहा कि किसी को भी अयोग्यता के आधार पर चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता है।

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