नई दिल्ली: तमिलनाडु की राजनीति में अन्नाद्रमुक पार्टी पर वर्चस्व की जंग पर सुप्रीम कोर्ट ने आज ब्रेक लगा दिया। दरअसल, शीर्ष अदालत ने आज मद्रास हाई कोर्ट की खंडपीठ के उस फैसले की पुष्टि की जिसमें एडप्पादी के पलानीस्वामी (ईपीएस) को अन्नाद्रमुक पार्टी के एकल नेता के रूप में बहाल किया गया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के फैसले को चुनौती देने वाली ओ पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) की याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब पार्टी की कमान पूरी तरह से पलानीस्वामी के हाथों में होगी।
जयललिता के अचानक निधन के बाद पार्टी पर कब्जे को लेकर फिर विवाद शुरू हो गया। तब पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी के साथ-साथ जे जयललिता की सहयोगी रहीं शशिकला भी इस विवाद का हिस्सा रहीं। हालांकि, बाद में वह अलग हो गईं। पार्टी दो धड़ों में बंट गई। एक धड़ा पार्टी के दिग्गज नेता ई पलानीस्वामी यानी ईपीएस के साथ आ गया और दूसरा ओ पनीरसेल्वम यानी ओपीएस के साथ तब एक फार्मूला बना। इसके तहत पलानीस्वामी को जॉइंट को-ऑर्डिनेटर और पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) को-ऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी गई।
पलानीस्वामी का गुट पार्टी पर पूर्ण अधिकार चाहता था।
पलानीस्वामी हो गए मजबूत
14 जून को जिला सचिव की मीटिंग के बाद से पार्टी में सिंगल लीडरशिप की मांग तेज हो गई। दोनों गुटों ने इसे सुलझाने के लिए कई बार बातचीत की लेकिन असफल रहे। ओ पनीरसेल्वम ने पलानीस्वामी को एक लेटर भी लिखा था जिसमें पार्टी की भ्रमित करने वाली हालत का हवाला देते हुए जनरल कमेटी की बैठक रद्द करने कहा था। हालांकि, पलानीस्वामी ने इसे नहीं माना। तब पनीरसेल्वम गुट ने जनरल कमेटी के सदस्यों के 23 प्रस्ताव पिछले महीने खारिज कर दिए थे। पलानीस्वामी का खेमा सिंगल लीडरशिप पर 23 जून की बैठक में एक प्रस्ताव पारित करने वाला था, इसके विरोध में पनीरसेल्वम ने कहा कि पार्टी नियम के अनुसार यह काम उनके हस्ताक्षर के बिना नहीं हो सकता।
पनीरसेल्वम की तुलना में पलानीस्वामी को बड़ी संख्या में पार्टी विधायकों और जिला सचिवों का समर्थन प्राप्त था। पलानीस्वामी खेमे में करीब 75 जिला सचिव, 63 विधायक और 2190 जनरल काउंसिल मेम्बर्स शामिल थे। वहीं लम्बे समय से चल रहे ड्रामे के बीच पनीरसेल्वम के कुछ वफादार भी पलानीस्वामी से मिल गए।
अन्नाद्रमुक पर पूरी तरह से पलानीस्वामी का वर्चस्व हो चुका था
अब अन्नाद्रमुक पर पूरी तरह से पलानीस्वामी का वर्चस्व हो चुका है। बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम और उनके समर्थकों को भी पार्टी से निकालने का फैसला लिया गया है। ऐसे में संभव है कि पार्टी से पनीरसेल्वम और उनके साथ रहने वाले नेताओं को निकाल दिया जाए। वहीं, इन सभी घटनाक्रम के बाद पनीरसेल्वम इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए लेकिन आज उन्हें यहां भी जोरदार झटका लगा और पार्टी पर वर्चस्व की जंग भी हार गए।