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चेन्नई: तमिलनाडु में शनिवार को द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने के बीच मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर मनरेगा मजदूरों की दुर्दशा को लेकर बेपरवाह होने का आरोप लगाया।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के श्रमिकों को दिया जाने वाला वेतन जारी न करने के लिए बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए स्टालिन ने कहा कि उन्हें (बीजेपी) महात्मा गांधी और उनके (महात्मा गांधी के) नाम पर 100 दिन के काम की गारंटी देने वाली योजना पसंद नहीं है।

स्टालिन ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में पूछा, "निर्दयी बीजेपी ने संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (यूपीए) की सरकार द्वारा भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ और जीवनदायिनी के रूप में विकसित मनरेगा को नष्ट करने का लक्ष्य रखा है। जब एक हस्ताक्षर से कॉरपोरेट्स के लिए लाखों करोड़ रुपये माफ कर दिए जाते हैं, तो चिलचिलाती धूप में पसीना बहाने वाले गरीबों को वेतन के रूप में कोई पैसा क्यों नहीं दिया जाता?

चेन्नई: परिसीमन के मुद्दे पर अब तक दक्षिण भारतीय राज्यों के नेताओं की ओर से केवल बयान आ रहे थे, लेकिन अब इस मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई का आगाज हो गया है। चेन्नई में आज (22 मार्च) इस मुद्दे पर बड़ी बैठक हुई। इसमें पांच राज्यों के सीएम और डिप्टी सीएम ने हिस्सा लिया। तीन अन्य राज्यों से भी नेताओं ने इस बैठक में शिरकत की। 

तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के नेतृत्व में यह बैठक आयोजित हुई। इसमें केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन, तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने हिस्सा लिया। ओडिशा की विपक्षी पार्टी बीजू जनता दल और आंध्र प्रदेश के विपक्षी दल वाईएसआर-कांग्रेस की ओर से भी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सभी ने अपने-अपने तथ्यों के साथ परिसीमन का विरोध किया।

मुख्यमंत्री स्टालिन ने बैठक को संबोधित करते हुए राजनीतिक और कानूनी कार्ययोजना तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का समर्थन किया।

चेन्नई: तमिलनाडु में भाषा विवाद गहराता जा रहा है। अब एमके स्टालिन सरकार ने राज्य सरकार के बजट 2025-26 से रुपये (₹) का प्रतीक चिह्न हटा दिया है। इसकी जगह सरकार ने तमिल भाषा का प्रतीक लगाया है। ऐसा माना जा रहा है भाषा विवाद के चलते तमिलनाडु सरकार ने यह कदम उठाया है। लोगो में तमिल शब्द 'रुबाई' का पहला अक्षर 'रु' लिखा है, जो स्थानीय भाषा में भारतीय मुद्रा को दर्शाता है। इसके अलावा लोगो में सबके लिए सब कुछ भी लिखा है। तमिलनाडु के वित्त मंत्री थंगम थेन्नारसु शुक्रवार को 2025-26 के लिए बजट पेश करेंगे।

केंद्र सरकार और द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम यानी डीएमके के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार के बीच राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 में प्रस्तावित त्रिभाषा फॉर्मूला राजनीतिक विवाद का केंद्र बना हुआ है। तमिलनाडु सरकार ने एनईपी व त्रिभाषा फॉर्मूले को लागू करने से मना कर दिया है। इसके चलते केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत मिलने वाली 573 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता रोक दी है। एसएसए फंडिंग पाने के लिए राज्यों को एनईपी के दिशा-निर्देशों का पालन करना होता है। फंड रोके जाने से सीएम स्टालिन बिफरे हुए हैं।

नई दिल्ली: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बुधवार को केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को भगवाकरण नीति कहा। स्टालिन ने कहा कि इस नीति का उद्देश्य भारत के विकास के बजाय हिंदी को बढ़ावा देना है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह नीति तमिलनाडु की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने की धमकी देती है। तिरुवल्लूर में स्टालिन ने कहा, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा नीति नहीं है। यह भगवाकरण की नीति है। इस नीति को भारत के विकास के लिए नहीं बल्कि हिंदी के विकास की खातिर बनाया गया है। यह नीति तमिलनाडु की शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से तबाह कर देगी। इस वजह से नीति का विरोध कर रहे हैं।"

अगर सभी को शिक्षा के दायरे में लाती है तो नीति का स्वागत

सीएम स्टालिन ने कहा, हम आपसे टैक्स में हिस्सा मांग रहे हैं। इसे हमने चुकाया है। इसमें क्या समस्या है? क्या 43 लाख स्कूलों के कल्याण के लिए धन जारी किए बिना धमकी देना उचित है? चूंकि हमने एनईपी को स्वीकार नहीं किया, इसलिए वे तमिलनाडु के लिए धन जारी करने से इंकार कर रहे हैं।

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