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नई दिल्ली: पंजाब के राज्यपाल बीएल पुरोहित के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुआई वाली सरकार ने बजट सत्र के मुद्दे पर विधानसभा का सत्र बुलाने का आग्रह किया था। राज्यपाल के इंकार करने पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस मामले की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच कर रही है। सीजेआई ने कहा कि जब कैबिनेट विधानसभा सत्र बुलाने को कह रही हो, तो राज्यपाल को ऐसा करना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण पर मुख्यमंत्री जवाब देने को बाध्य हैं।

दरअसल, 22 फरवरी को पंजाब कैबिनेट ने बजट सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को चिट्ठी लिखी थी। अभी तक राज्यपाल ने बजट सत्र पर नहीं कोई जवाब नहीं दिया था। 23 फरवरी को राज्यपाल ने कहा था कि वह कानूनी राय लेंगे। इसी विवाद को लेकर पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। पंजाब सरकार ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से तीन मार्च से बजट सत्र बुलाने का अनुरोध किया था।

पंजाब सरकार के वकील सिंघवी से पहले सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आज राज्यपाल ने यह आदेश पारित किया है कि सत्र बुलाया जा रहा है।

पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'हम इसलिए आए हैं, क्योंकि राज्यपाल ने कुछ बयानों और शिकायतें के आधार पर सत्र बुलाने से पहले कानूनी सलाह लेने की बात कह रहे थे। हम जब सुप्रीम कोर्ट आए तो अब कह रहे हैं कि सत्र बुलाया जा रहा है।'

सिंघवी ने आगे कहा, 'राज्यपाल कैबिनेट की सलाह पर चलते हैं, लेकिन उन्होंने पहले कैबिनेट की सलाह की उपेक्षा की। अब कह रहे हैं कि 3 मार्च से सत्र बुलाया जाएगा। राज्यपाल को संविधान के हिसाब से काम करना चाहिए।' सिंघवी ने कहा, 'अगर सीएम ने यह कह दिया कि उन्हें 3 करोड़ पंजाबियों ने चुना है, तो क्या राज्यपाल सत्र बुलाने से मना कर देंगे। संविधान को हाईजैक कर लेंगे।'

सॉलिसीटर जनरल मेहता ने कहा कि सीएम ने आधिकारिक पत्राचार में निचले स्तर की भाषा का इस्तेमाल किया। मेहता ने राज्यपाल और सीएम के बीच हुए पत्राचार के कुछ हिस्से पढ़े।

सीजेआई ने कहा, 'जब कैबिनेट विधानसभा सत्र बुलाने को कह रही हो, तो राज्यपाल को ऐसा करना चाहिए।' इसपर एजी तुषार मेहता ने कहा कि राज्यपाल ने कभी मना नहीं किया। वह कानूनी सलाह ले रहे थे। उन्होंने सलाह ली। अब सत्र बुलाया जा रहा है। राज्यपाल ने अपने पत्र में किसी अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। अगर ऐसी प्रवृत्ति पर लगाम नहीं लगी तो इसके दुष्परिणाम होंगे। यह नहीं कहा जा सकता कि मुझे लोगों ने चुना इसलिए किसी संवैधानिक संस्था को कोई जवाब नहीं दूंगा।

बता दें कि पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार के बीच गतिरोध पिछले सप्ताह और बढ़ गया जब पुरोहित ने संकेत दिया कि उन्हें विधानसभा का बजट सत्र बुलाने की कोई जल्दी नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री मान को राजभवन के एक पत्र पर उनके आपत्तिजनक जवाब की याद दिलाई।

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