चंडीगढ़: अपने सहकर्मी की ‘‘अवैध'' गिरफ्तारी के विरोध में सामूहिक अवकाश पर गए पंजाब लोक सेवा (पीसीएस) के अधिकारियों को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को सख्त चेतावनी दी है। मान ने पीसीएस अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे ड्यूटी पर लौट आएं, अन्यथा उन्हें निलंबित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह की हड़ताल ‘ब्लैकमेलिंग और दबाव की रणनीति' की श्रेणी में आती है। राज्य सतर्कता ब्यूरो द्वारा लुधियाना में पीसीएस अधिकारी नरिंदर सिंह धालीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में अधिकारियों के सोमवार से पांच दिवसीय सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर जाने के कारण राज्य में प्रशासनिक कार्यालयों में सेवाएं प्रभावित होने के बाद मान का यह कड़ा रुख सामने आया है।
सीएम मान ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर उन्हें सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर गये पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। मान ने पत्र में लिखा है, ‘‘मेरे संज्ञान में लाया गया है कि कुछ अधिकारी हड़ताल की आड़ में ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं। वे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं।''
उन्होंने कहा, ‘‘यह सभी को स्पष्ट हो जाना चाहिए कि इस सरकार की भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति है। इस तरह की हड़ताल ‘ब्लैकमेलिंग और दबाव डालने' की श्रेणी में आती है। इसे किसी भी जिम्मेदार सरकार द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।'' मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए हड़ताल को अवैध घोषित करने का निर्देश दिया जाता है। जो लोग ड्यूटी पर नहीं आएंगे उनकी अनुपस्थिति को ड्यूटी से गैर-हाजिर माना जाए।'' सतर्कता ब्यूरो ने बताया कि लुधियाना में क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकारी के पद पर तैनात धालीवाल को शुक्रवार को सतर्कता ब्यूरो ने ट्रांसपोर्टरों से रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। गौरतलब है कि पीसीएस अधिकारी संघ ने दावा किया था, ‘‘पीसीएस अधिकारी को अवैध, गलत और मनमाने ढंग से और उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना गिरफ्तार किया गया है।''
मान के पत्र के बाद मुख्य सचिव वीके जंजुआ ने सभी पीसीएस अधिकारियों को अनधिकृत रूप से ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के संबंध में पत्र लिखा है। जंजुआ ने लिखा है कि मुख्यमंत्री मान कई बार दोहरा चुके हैं कि भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त न करने (जीरो टॉलरेंस) की नीति अपनाई जाएगी और भ्रष्ट गतिविधियों पर सख्ती से अंकुश लगाया जाएगा। उन्होंने कहा है, ‘‘मुख्यमंत्री की इच्छा है कि हड़ताल पर जाने वाले या भ्रष्ट आचरण का समर्थन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।'' जंजुआ ने लिखा है, “मेरे संज्ञान में आया है कि कुछ पीसीएस अधिकारी हड़ताल की आड़ में अपने काम पर नहीं आ रहे हैं। इस तरह की हड़ताल ‘ब्लैकमेलिंग और दबाव की रणनीति' की श्रेणी में आती है, जिसे किसी भी सरकार द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। पीसीएस अधिकारी श्रमिक नहीं हैं, जो श्रम कानूनों के तहत यूनियन बनाकर हड़ताल कर सकें।''
जंजुआ ने लिखा, ‘‘पीसीएस अधिकारियों की अनुपस्थिति और उनकी हड़ताल अनधिकृत है और आज अपराह्न दो बजे तक ड्यूटी पर शामिल नहीं होने वाले अधिकारियों को निलंबित कर दिया जाएगा और ड्यूटी से उनकी अनधिकृत अनुपस्थिति को गैर-हाजिर माना जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप उनकी सेवाएं निरंतर सेवाओं की श्रेणी में नहीं रहेंगी।'' उन्होंने सभी पीसीएस अधिकारियों को काम पर लौटने का निर्देश देते हुए कहा, “हड़ताल पर या अनधिकृत अवकाश पर गये सभी पीसीएस अधिकारियों को आज अपराह्न दो बजे तक ड्यूटी ज्वाइन करने का निर्देश दिया जाता है, अन्यथा उन्हें निलंबित कर दिया जाएगा, उनकी नौकरी को ‘बाधित सेवा' की श्रेणी में रखा जाएगा और उनके खिलाफ पंजाब सिविल सेवा (सजा और अपील) नियम, 1970 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।