चंडीगढ़: सतलज-यमुना लिंक नहर को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद गहराने लगा है। पंजाब विधानसभा में बिल पास होने के बाद अकाली दल और कांग्रेस के नेताओं में नहर को मिट्टी से पाटने की होड़ मच गयी है, वहीं हरियाणा विधानसभा में भी इस मुद्दे पर विपक्ष ने भाजपा सरकार को घेरा। पंजाब की सतलज नदी का पानी हरियाणा तक पहुंचाने के लिए लगभग 700 करोड़ रुपये खर्च करके बनी नहर में मिट्टी भरने का काम कांग्रेस के नेता कर रहे हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि अकाली दल सरकार की नीयत ख़ोटी है इसलिए मैंने ऐलान किया है कि जो जितनी ज़मीन के मालिक हैं वो उस पर क़ब्ज़ा कर लें, पंजाब के लोग इकट्ठा होकर इस नहर को बराबर कर दें ताकि जो बिल पास हुआ है उसको हम लोग ख़ुद ही लागू कर लें। नहर की ज़मीन किसानों को लौटाने के पंजाब विधानसभा के फैसले पर अभी तक राज्यपाल ने अपनी मुहर नहीं लगाई है। लेकिन बादल सरकार ने हरियाणा सरकार को नहर पर खर्च हुई रकम लौटने की तैयारी कर ली है।
शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि 'ये बहुत गम्भीर मसला है। राज्यपाल को भी विचार करने का समय चाहिए। वो हमारी भावना समझते हैं, इसलिए पहले से ही बयानबाज़ी ठीक नहीं।' वहीं, दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने की स्कीम पर काम कर रही आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को जालंधर में कहा, 'हम नहर के ख़िलाफ़ हैं क्योंकि पंजाब की पानी की ज़रूरत महत्वपूर्ण है और यहां पानी की कमी है।' उनके बयान ने आग में घी का काम किया है। हरियाणा विधानसभा नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने कहा, 'जब आरक्षण के दौरान यहां नहर रोक दी गई थी और दिल्ली को पानी नहीं मिल रहा था तब किस तरह से केजरीवाल हाय तौबा मचा रहे थे। अगर वो हमारा पानी बंद करवाना चाह रहे हैं तो हमें दिल्ली का पानी तुरंत बंद करना चाहिए ताकि केजरीवाल की अक्ल ठिकाने आए।' इस मसले पर खट्टर सरकार बैकफुट पर है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने रुख बदलते हुए कह दिया है कि वो न तो हरियाणा के पक्ष में है और न ही पंजाब। कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कहा कि हम केंद्र से ये कहने जा रहे हैं कि पंजाब को ऐसा करने से रोकें क्योंकि पंजाब को कोई अधिकार नहीं है। अभी उनका बिल भी क़ानून नहीं बना है और उनको बिल पास करने का भी कोई अधिकार नहीं था। बादल सरकार ने हरियाणा को 191 करोड़ रुपये का चेक भेजा। ये रक़म नहर के लिए ज़मीन के बदले किसानो को दी गई थी। बादल सरकार ने किसानों की ज़मीन लौटने का फ़ैसला किया है। इसके लिए विधानसभा में बिल पारित हो चुका है जिसे राज्यपाल की मंज़ूरी मिलना बाक़ी है।