कोलकाता: पश्चिम बंगाल में गुरुवार को एक नई पार्टी अस्तित्व में आ गई है. गुरुवार को 35 साल के मुस्लिम धर्मगुरू अब्बास सिद्दीकी ने अपनी नई पार्टी इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) का एलान किया है। इस पार्टी के सामने आने से पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटबैंक की तस्वीर बदल सकती है। सिद्दीक़ी की अभी राजनेता के तौर पर हैसियत साबित नहीं हुई है, हालांकि, ऐसी जानकारी है कि वो लगभग 50 सीटों तक अपनी नई पार्टी के नेता उतार सकते हैं। हुगली जिले के फुरफुरा शरीफ के धर्मगुरू सिद्दीक़ी यहां पर दलित, मटुआ और मुस्लिम समुदाय के बीच मजबूत पकड़ रखते हैं। उन्हें यहां पर 'भाईजान' के नाम से बुलाया जाता है।
दिलचस्प बात यह है कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी उनके नेतृत्व में पश्चिम बंगाल का चुनाव लड़ने का ऑफर दे चुके हैं। वो 3 जनवरी को यहां आए थे और सिद्दीक़ी से मिले थे। ऐसी जानकारी है कि सिद्दीक़ी ने एक वक्त तृणमूल के साथ लड़ने के बदले में 40 सीटों की मांग की थी, जिसे पार्टी ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने अकेले ही मैदान में लड़ने का फैसला किया।
कुछ तबकों में इस बात की फिक्र है कि अब्बास सिद्दीक़ी तृणमूल कांग्रेस के मुस्लिम वोटबैंक को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बंगाल में मुस्लिम टीएमसी के साथ पिछले 10 सालों से बने हुए हैं। लेकिन इस बीच सिद्दीक़ी ने अपने भाषणों से काफी नाम कमाया है, जो सोशल मीडिया पर काफी शेयर किए जाते हैं।
वहीं कुछ लोगों को लगता है कि उनके प्रभाव को जरूरत से ज्यादा आंका जा रहा है। उनका कहना है कि वो धार्मिक नेता के तौर पर प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन राजनीति में नहीं। बता दें कि पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटों में तबसे सेंध लगने की बात हो रही है, जबसे बिहार विधानसभा चुनावों में कुछ सीटें जीतने के बाद से ओवैसी ने बंगाल में चुनाव लड़ने की घोषणा की है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इसके बाद से यहां मुस्लिम वोट बैंक संगठित हो गया है।