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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पश्चिम बंगाल स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि इसके प्रतिष्ठित संस्थापक रवींद्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण का सार 'आत्मनिर्भर भारत' का था। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान रवींद्रनाथ टैगोर के मार्गदर्शन में भारतीय राष्ट्रवादी भावना को मूर्त रूप दिया था। पीएम ने कहा, "गुरुदेव संपूर्ण मानवता को भारत के आध्यात्मिक जागरण से लाभान्वित करना चाहते थे। आत्मानिर्भर भारत दर्शन भी इसी भावना से उत्पन्न है।"

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के गुजरात कनेक्शन का भी जिक्र किया और कहा कि गुरुदेव की बड़े भाई सत्येंद्र नाथ टैगोर की नियुक्ति गुजरात में हुई थी। तब रवींद्र नाथ टैगोर उनसे मिलने अहमदाबाद आते थे। पीएम ने कहा कि गुरुदेव ने वहां पर ही अपनी दो कविताएं लिखी थीं। पीएम ने कहा कि गुजरात की बेटी भी गुरुदेव के घर बहू बनकर आई थी। पीएम ने कहा कि जब सत्येंद्र नाथ टैगोर की पत्नी ज्ञानेंद्री देवी अहमदाबाद में रहती थीं, तब उन्होंने देखा कि गुजराती महिलाएं साड़ी का पल्लू दाईं ओर रखती थीं, तब उन्होंने बाईं तरफ साड़ी का पल्लू रखने की सलाह दी थी, जो अबतक जारी है।

तृणमूल कांग्रेस ने पीएम की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और उनके संबोधन में "उच्चारण और तथ्यात्मक त्रुटियों" पर उनकी आलोचना की है। ममता बनर्जी सरकार में मंत्री ब्रत्य बोस ने कहा कि टैगोर और गुजरात को जोड़ने की कोशिश अक्षम्य थी। बोस ने कहा, "टैगोर के भाई जो गुजरात में पदस्थापित थे, उनके सबसे बड़े भाई नहीं थे। उनकी पत्नी का नाम ज्ञानदानंदिनी था, न कि जो पीएम ने कहा। ज्ञानदानंदिनी और साड़ी के पल्लू की कहानी एक मिथक है, सच नहीं है।"

बंगाल के मंत्री ने विश्वभारती को राष्ट्रवाद का प्रतीक कहने पर भी पीएम मोदी की आलोचना की। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, "पीएम ने टैगोर के राष्ट्रवाद की बात की, जबकि टैगोर ने राष्ट्रवाद को सबसे विभाजनकारी चीज कहा था। धर्म को विभाजित करने के लिए इस शब्द के उपयोग की टैगोर ने वकालत नहीं की थी। उनका उपन्यास 'गोरा' धर्म के बारे में था और अंततः इसका मतलब मानव धर्म से था। उनके उपन्यास 'घरे बैरे' का संदेश था कि राष्ट्रवाद एक व्यसन है जो विभाजन कराता है।" बता दें कि पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने बृहस्पतिवार को ‘आत्मनिर्भर भारत'अभियान को विश्व कल्याण का मार्ग बताया और कहा कि यह भारत को सशक्त करने के साथ विश्व में समृद्धि लाने का भी अभियान है। पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी विश्वविद्यालय से निकला संदेश आज पूरे विश्व तक पहुंचा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत आज ‘अंतरराष्ट्रीय सौर अलायंस' के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में विश्व का नेतृत्व कर रहा है तो वह आज इकलौता बड़ा देश है जो पेरिस समझौते के पर्यावरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के सही मार्ग पर है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी इस समारोह के दौरान उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के ‘राष्ट्रवाद' के चिंतन में मुखर थी। उन्होंने कहा, ‘‘उनका विजन था कि जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे विश्व को लाभ हो और जो दुनिया में अच्छा है, भारत उससे भी सीखे। आपके विश्वविद्यालय का नाम ही देखिए, विश्व-भारती। मां भारती और विश्व के साथ समन्वय।'' उन्होंने कहा, ‘‘विश्व भारती के लिए गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है। आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है।  ये अभियान, भारत को सशक्त करने का अभियान है, भारत की समृद्धि से विश्व में समृद्धि लाने का अभियान है।''

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